आत्ममुग्धता लेखन में ठहराव उत्पन्न करती है : डॉ. कीर्ति काले
गाज़ियाबाद में साहित्य की महफिलों का अब लगातार रंग जमने लगा है। हर महीने कथा संवाद और महफ़िल-ए-बारादरी का जो सिलसिला शुरु हुआ है उसमें देश भर के नामचीन लेखक, कवि, शायर और गीतकार निरंतर शामिल हो रहे हैं। यह कोशिश पुरानी के साथ साथ नई पीढ़ी में साहित्य के प्रति गहरी अभिरुचि पैदा करने के साथ उनमें लिखने पढ़ने की आदत डालने, एक बेहतर सामाजिक दृष्टि विकसित करने की दिशा में एक जरूरी और उल्लेखनीय कदम है। हाल ही में हुए महफ़िल-ए-बारादरी की एक रिपोर्ट पेश है साथ ही कुछ तस्वीरें भी …
हरियाली तीज पर ‘महफ़िल ए बारादरी’ में गाए गए मोहब्बत के तराने
योजना, गौहर, उर्वशी, तारा, मंजु, अंबर, सोनम ने की दिलों को जीतने की बात
गाजियाबाद। लोकप्रियता की होड़ ने लोगों की रचना धर्मिता और रचना प्रक्रिया को इतना अधिक प्रभावित कर दिया है कि अधकचरा लेखन ही आत्म संतुष्टि का पर्याय होता जा रहा है। रही सही कसर फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे पटल पूरी कर देते हैं। जहां आभासी प्रशासक झूठी वाहवाही का प्रपंच रच कर रचनाकारों को महानता के भ्रम में रखते हैं। सुप्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कवयित्री डॉ. कीर्ति काले ने बतौर अध्यक्ष ‘बारादरी’ को संबोधित करते हुए उक्त उद्गार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी में सीखने का संस्कार खत्म होता जा रहा है। अधिकांश नए रचनाकारों में ठहराव आ गया है। ‘बारादरी’ जैसे मंच नवांकुरों के लिए एक पाठशाला हैं।
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल नेहरू नगर में आयोजित ‘बारादरी’ को संबोधित करते हुए जर्मनी से आईं मुख्य अतिथि डॉ. योजना साहू जैन ने कहा कि उन्हें भारतीय होने पर गर्व है और वह स्वयं को ‘ग्लोबल सिटिजन’ समझती हैं। डॉ. कीर्ति काले ने मां गंगा के”गीत दोहराती हूं मां गंगा की पावन पुण्य कहानी को’ सुना कर श्रोताओं को रोमांचित कर दिया। उनके गीत ‘द्वार देहरी में ठनी सी है, अल्पना भी अनमनी सी है…’ पर भी श्रोताओं की भरपूर दाद मिली। डॉ. योजना साहू जैन के शेर ‘न किसी से कोई गिला रखना फासला इतना दरमियां रखना, तोड़ा है दिल बड़ी तबीयत से नाम उनका मेरी दुआ में रखना’ भी खूब सराहे गए। कार्यक्रम के विशेष आमंत्रित अतिथि संजय मिश्रा ‘शौक’ ने कहा ‘मैंने जब उससे कहा तुम मेरा चेहरा देखो, चांद ने फेंक दिया शब का दुपट्टा देखो’, पर भी दाद बटोरी।
संस्था के अध्यक्ष गोविंदा गुलशन ने सूफियाना अंदाज में अपनी बात कुछ यूं राखी ‘जिधर से आ गए उस सिम्त मुड़ के जाना क्या, वो नर्म रोहे, नदी का मगर ठिकाना क्या, उसे तो मंजिल ए मकसूद तक पहुंचना है, नदी का दोनों किनारो से दोस्ताना क्या?’ पर खूब दाद बटोरी। संस्था की संस्थापिका डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ ने आदमी आदमी के बीच बढ़ रही दूरियों को कम करने पर बल देते हुए कहा ‘न हो सोचना, न बहाना हो, न पूछना न बताना हो, एक घर हो जहां मेरा बेबाक आना जाना हो, न तारीख ढूंढनी हो न वक्त देखना हो, खास दिन का बहाना न रस्म निभाना हो, वो दर मुझको न जहां सांकल खटखटाना हो।’
मशहूर शायर सुरेन्द्र सिंघल ने अपने चिर परिचित अंदाज में अपनी बात कुछ यूं रखी ‘काम रफू का कहीं-कहीं पैबंद, कहीं से फटा हुआ है, जिस्म पहन रखा है जो मैंने, जैसे तैसे टिका हुआ है। दस्तक देते, देते, देते, देते घायल हुई हथेली, देखा तो दरवाजे पर बाहर से ताला पड़ा हुआ है। बीबी, बच्चे, मौत, सियासत, सड़कें कातिल, शहर मवाली, एक अकेला शख्स सभी में टुकड़ा-टुकड़ा पड़ा हुआ है।’ मासूम गाजियाबादी ने फरमाया ‘इमारत इसलिए खामोश है बस कि सच की पीठ में खंजर लगा हुआ है, किसी के हाथ की कारिगरी है किसी के नाम का पत्थर लगा है।’ अनिल मीत ने कहा ‘मेरी वाणी खुद बोलेगी, आज नहीं तो कल बोलेगी, खामोशी भी लब खोलेगी आज नहीं तो कल बोलेगी।’ इंद्रजीत सुकुमार के गीत की पंक्तियां ‘मृगतृष्णा के भंवर देख कर इच्छाओं के दास न होना’ भी सराही गई। सुप्रसिद्ध शायरा इकरा अंबर ने अपनी शायरी का परिचय इन पंक्तियों से दिया ‘वह जहां बेकरार बैठेगा दिल वहां बार-बार बैठेगा सब्र आंखों में आकर बैठ गया अब कहां इंतजार बैठेगा। जिस तरह शर्त वह लगता है जिंदगी वह अपनी हर बैठेगा।’
कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए असलम राशिद ने फरमाया ‘दुःख हमारा कम करेंगे आप रहने दीजिए, आग को शबनम करेंगे आप रहने दीजिए।’ मंजू मन ने कहा ‘बूढ़ी आंखें मुंद न ज़ाएं, मां का बोसा लेने आज़ा।’ अतिथियों का परिचय दीपाली जैन ‘ज़िया’ ने दिया।करीब 6 घंटे से अधिक समय तक चली महफिल में उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’, अंजू जैन, तारा गुप्ता, अनिमेष शर्मा, रवि यादव, डॉ. सुधीर त्यागी, सुरेंद्र शर्मा, सोनम यादव, पुष्पा गोयल, पावनी कुमारी, विवेक मालवीय, संजीव शर्मा, टेकचंद, अजय त्यागी, प्रदीप भट्ट, वागीश शर्मा, वीणा दरवेश, देवेंद्र देव, डॉ. बीना शर्मा, वी. के. शेखर, मनीषा गुप्ता व यश शर्मा की रचनाएं भी सराही गईं। इस अवसर पर सत्यनारायण शर्मा को साहित्य के क्षेत्र में आजीवन योगदान के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया। इस मौके पर महकार सिंह, राधारमण, आलोक यात्री, सुशील शर्मा, कुलदीप, उत्कर्ष गर्ग, रंजन शर्मा, नंदिनी शर्मा, आभा बंसल, विश्वेंद्र गोयल, प्रमोद सिसोदिया, तिलक राज अरोड़ा, रीना अग्रवाल, सुमन गोयल, वीरेन्द्र सिंह राठौर, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव, स्वप्ना, हेमलता शर्मा, राष्ट्रवर्धन अरोड़ा, नीलम सिंह, अंजलि, अतुल जैन, किशन लाल भारतीय, दीपा गर्ग, आशीष मित्तल, सुभाष अखिल, देवेंद्र गर्ग, निखिल, कविता, डी. डी. पचौरी, ओंकार सिंह, अरुण कुमार यादव, नूतन यादव, राम प्रकाश गौड़, निकिता कराया, शशिकांत भारद्वाज व खुशबू सहित बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
Posted Date:
August 6, 2024
10:51 am
Tags:
आलोक यात्री,
गाजियाबाद साहित्य,
महफिल-ए-बारादरी,
माला कपूर गौहर,
गोविंद गुलशन,
नई शायरी