साहित्य संसद बना कथा संवाद: सुरेश उनियाल
पांच साल हो गए। गाज़ियाबाद में साहित्य को इन पांच सालों में एक नई दिशा मिली। कहानियों और कविताओं के साथ साथ शायरी पर यादगार कार्यक्रमों का सिलसिला निरंतर जारी है। साहित्य जगत की जानी मानी हस्तियों ने इन कार्यक्रमों में शिरकत की है औऱ तमाम नई प्रतिभाएं सामने आई हैं। जाने माने वयोवृद्ध कथाकार से रा यात्री की लेखन परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आलोक यात्री ने इस शहर को साहित्य का एक सक्रिय और रचनात्मक ठिकाना बना दिया है। मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन के तहत हर महीने कथा संवाद के जरिये आलोक यात्री और उनके साथी साहित्यकारों की टीम ने यहां जिस तरह का साहित्यिक माहौल बनाया है, उसने तमाम नए रचनाकारों को नई ऊर्जा दी है। हाल ही में कथा संवाद के नवंबर संस्करण में भी जो उत्साह दिखा, वह कथाकारों को जनसरोकारों से जोड़कर रचनाधर्मिता को जारी रखने का हौसला देने वाला था। इस बारे में गाजियाबाद के तमाम अखबारों में खबरे छपी भीं। सात रंग के पाठकों के लिए इस कार्यक्रम की एक रिपोर्ट पेश है।
 
जाने माने रचनाकार सुरेश उनियाल का मानना है कि “कथा संवाद” में हो रहा विमर्श इस आयोजन को साहित्य संसद का स्वरूप प्रदान कर रहा है। कथा संवाद के जरिए कहानी की वाचिक परंपरा समृद्ध हो रही है। 20 नवंबर को कथा सवाद की ताजा कड़ी की अध्यक्षता करते हुए सुरेश उनियाल ने कहा कि यह आम मान्यता है कि प्रकाशित हो कर ही लेखक और लेखन लोकप्रिय होता है। जबकि रामचरित मानस को वाचिक परंपरा ने ही लोक में स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि प्रकाशित रचनाओं में भी कच्चापन देखने को मिल रहा है। आज के अधिकांश संपादक प्रोफेशनल न होकर कई तरह के दबाव में काम कर रहे हैं। लेखक अपना निर्माता खुद होता है। लिहाजा तारीफ से बहुत खुश होने के बजाए लेखक को अपना आलोचक स्वयं बनना चाहिए।
 मीडिया 360 लिट्रेरी फाउंडेशन की ओर से गाजियाबाद के होटल रेडबरी में आयोजित इस कार्यक्रम में उनियाल ने कहा कि सुनी गई तमाम कहानियां इस बात का सुबूत हैं कि नई पीढ़ी समाज की विसंगतियों का सूक्ष्मता से विश्लेषण कर रही है। मुख्य अतिथि पंकज शर्मा ने कहा कि लिख कर, सुन कर कहानीकार नहीं बना जा सकता। एक ही शब्द कहानी को बना देता है और एक ही शब्द कहानी को गिरा भी सकता है। कहानी की इस पाठशाला में सुनी गई अधिकांश कहानियां करुणा के बहुत करीब हैं। करुणा ही कहानी को श्रेष्ठता की ओर ले जाती है। उन्होंने कहा कि बतौर संपादक बहुत सी अधकचरी रचनाओं को पढ़ने के लिए वह अभिशप्त हैं। लेकिन यह विमर्श नए लेखन को मांजने के साथ उन्हें गढ़ने का अभिनव प्रयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि नए लेखकों को धीरज और धैर्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। कार्यक्रम के खास मेहमान योगेश अवस्थी ने कहा कि लिखने के लिए पढ़ना जरूरी है। कभी यह नहीं सोचना चाहिए कि मैंने जो लिख दिया वह श्रेष्ठ है। एक लेखक को हमेशा आलोचक की शरण में रहना चाहिए। आलोचना हजम करने की क्षमता ही रचनाकार को बड़ा लेखक बनाती है। एक बार पहचान खत्म हो जाए तो लेखक भी एक ब्रांड की तरह खत्म हो जाता है। संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने कहा कि कथा यात्रा का यह सफर पांच वर्ष पूरा कर चुका है। संयोजक सुभाष चंदर ने जानकारी दी कि “कथा रंग पुरस्कार 2021-22” के लिए प्राप्त 194 प्रविष्टियों में से पुरस्कार योग्य चयनित कहानियों की घोषणा अपने अंतिम चरण में है।
  कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। कथा संवाद में मनीषा गुप्ता ने ‘वासुदी’, शकील अहमद ने ‘बबुआ’, प्रतिभा प्रीत ने ‘नाइट लैंप’, बीना शर्मा ने ‘बत्तो’ व मनु लक्ष्मी मिश्रा ने ‘कल्लो’ कहानी का पाठ किया। विमर्श में अशोक मैत्रेय, सुभाष चंदर, आलोक यात्री, वीणा शुक्ला, डॉ. पूनम सिंह, विपिन जैन, राष्ट्र वर्धन अरोड़ा, अनिल शर्मा, रविन्द्र कांत त्यागी, सुभाष अखिल, सत्य नारायण शर्मा, अक्षयवर नाथ श्रीवास्तव, तेजवीर सिंह, शैलजा सिंह, प्रतिमान उनियाल व सिमरन ने हिस्सा लिया। विगत कार्यक्रम में सुनी गई रिंकल शर्मा की कहानी ‘प्यारा सा ठग’ को “किआन कथा सम्मान” एवं रश्मि वर्मा की कहानी “फोर बैडरूम फ्लैट” को “दीप स्मृति कथा सम्मान” स्वरूप 11-11 सौ रुपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई। इस अवसर पर वागीश शर्मा, संजयवीर भदौरिया, तिलक राज अरोड़ा, रिशी अवस्थी, अमित जैन, राजेश कुमार, सौरभ कुमार, ओंकार सिंह, वीरेंद्र सिंह सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे।
Posted Date:

November 22, 2022

3:57 pm Tags: , , , , ,
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