गाजियाबाद में कहानियों के सार्थक मंच और इसके सफल मासिक आयोजन ने ‘कथा रंग’ के बैनर तले तमाम दिग्गज कथाकारों को जोड़ने में कामयाबी पाई है। हर महीने होने वाले इस आयोजन में तकरीबन साठ सत्तर लोगों की लगातार मौजूदगी और सक्रिय भागीदारी यह साबित करती है कि कहानी लेखन को लेकर कितनी बारीक बातें लोग सुनना समझना चाहते हैं। बेशक हर बार नई नई कहानियां सामने आना , उनपर चर्चा होना और तमाम वरिष्ठ कथाकारों को सुनना एक अनुभव है।
इस बार 15 दिसंबर को ‘कथा रंग ‘ की ओर से आयोजित ‘कथा संवाद’ में पढ़ी गई कहानियों पर विमर्श के दौरान कार्यक्रम के अध्यक्ष सुप्रसिद्ध साहित्यकार अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’ ने कहा कि हमारी कहानी के विषय दैनिक जीवन में हमारे आसपास की घटनाओं से प्रेरित होते हैं। उनका कहना था कि कहानी किसी अखबार की खबर नहीं होती। घटना को कहानी के तौर पर गढ़ना पड़ता है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अशोक मिश्र ने कहा कि कहानी में वर्णन की कला रचना का महत्वपूर्ण अंग है। जो लोग कहानी के क्षेत्र में आ रहे हैं उन्हें प्रेमचंद और से. रा. यात्री की कहानी पढ़नी चाहिए। यह वह रचनाकार हैं जिन्होंने कहानी सरल और सार्थक तरीके से लिखी हैं। नवांकुरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रेमचंद मानते थे कि साहित्य का काम मनोरंजन नहीं है। साहित्य का काम व्यक्ति की पीड़ा दर्ज करना है।
कवि नगर रामलीला मैदान स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित ‘कथा संवाद’ को संबोधित करते हुए अशोक मिश्र ने कहा कि आज की कहानी के सामने दो-तीन तरह की चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती दृश्य माध्यम की है। जो इतनी तेजी से आ जा रहे हैं कि उनके सामने आपको अपनी कहानी की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए बहुत परिश्रम की आवश्यकता है। इसके अलावा हमारे सामने बाजारवाद व ऐसे दृश्य माध्यमों का शोर है जो भाषा व साहित्य को भ्रष्ट कर रहे हैं।
कथाकार कमलेश भट्ट ‘कमल’ ने कहा कि हर रचनाकार को यह समझना चाहिए कि वह कहना क्या चाहता है? उन्होंने कहा कि अधिकांश लेखक बहुत जल्दबाजी में लिखते हैं। लेखन के प्रति इतने उत्साहित होते हैं कि उन्हें लगता है कि उन्होंने दुनिया की सबसे श्रेष्ठ कहानी लिख दी है। श्री भट्ट ने कहा कि रचना को कुछ बासी होने देना चाहिए। यह भी देखना चाहिए कि रचना इतनी पक जाए कि और उबाल की गुंजाइश न रहे। प्रसिद्ध व्यंग्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि कहानी को परिपक्व करने की प्रक्रिया हमें मुर्गी व अंडे से सीखनी चाहिए। पाठकों को आपका लेखन तब पसंद आएगा जब वह विश्वसनीय लगेगा। वह विश्वासनीय तब लगेगा जब हम एक-एक सूत्र को जोड़ते हुए आगे बढ़ेंगे। वरिष्ठ साहित्यकार अशोक मैत्रेय ने कहा कि भाषा ऐसी होनी चाहिए जो पाठक को कहानी से जोड़ सके। ऐसी भाषा न हो कि पाठक कहानी से ही विमुख हो जाए। उन्होंने कहा कि कहानी हो या साहित्य की कोई अन्य विधा, उसका अपना दायित्व है। वह क्यों लिखी जा रही है, किसके लिए लिखी जा रही है, जिसके लिए लिखी जा रही है, भाषा और शैली उसकी समझ में आनी चाहिए। लेखन में भाषा का सौंदर्य और भाषा की संस्कृति नहीं है तो लेखन का कोई औचित्य नहीं रहता। सुप्रसिद्ध साहित्यकार बलराम अग्रवाल ने कहा कि आज के दौर में कहानी का कलेवर बहुत तेजी से बदल रहा है। हर लेखक के लिए जरूरी है कि वह समकालीन लेखकों की रचनात्मकता से अवगत होता रहे।
संवाद में डॉ. बीना शर्मा, डॉ. देवेंद्र ‘देव’ व मनीषा गुप्ता की रचनाओं पर सुरेन्द्र सिंघल, अवधेश श्रीवास्तव, राधारमण, आलोक यात्री, अनिल शर्मा, शकील अहमद, अक्षयवरनाथ श्रीवास्तव व कल्पना कौशिक ने भी अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन रिंकल शर्मा ने किया। संस्था के अध्यक्ष शिवराज सिंह ने अतिथियों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस आयोजन के साथ कथा संवाद की यात्रा अपनी स्थापना के सात साल पूर्ण कर आठवें वर्ष में प्रवेश कर चुकी है। इस अवसर पर गोविंद गुलशन, योगेन्द्र दत्त शर्मा, के. के. जायसवाल, राकेश सेठ, तूलिका सेठ, वागीश शर्मा, डॉ. सुमन गोयल, कुलदीप, संजीव शर्मा, राजीव वर्मा, निरंजन शर्मा व उत्कर्ष गर्ग संहिता बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे।
December 16, 2024
10:47 pm Tags: कथा संवाद, अखिलेश श्रीवास्तव चमन, अशोक मिश्र