और अब कपिला जी भी साथ छोड़ गईं…

इस कोरोना काल ने बहुतों को हमसे छीना है। कुछ तो उम्र के उस पड़ाव पर थे, तो कुछ असमय ही अलविदा कह गए। देश में सांस्कृतिक चेतना और इसके विस्तार के क्षेत्र में अद्भुत योगदान देने वाली कपिला वात्यायन भी आखिरकार चली गईं।

  कपिला जी बेशक 91 साल की हो चुकी थीं, लेकिन उनकी सांस्कृतिक चेतना आखिरी वक्त तक पूरी तरह बरकरार रही। निजी जीवन की बात करें तो कपिला जी हिन्दी के जाने माने कवि और साहित्यकार दिवंगत सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ की पत्नी थीं, लेकिन साठ के दशक से ही दोनों ने अपने अपने रास्ते अलग कर लिए थे। कोई झगड़ा नहीं था, दोनों एक दूसरे का सम्मान आखिरी वक्त तक करते थे, लेकिन अपनी अपनी जीवन शैली और नज़रिये की वजह से दोनों ने अपना अपना कार्यक्षेत्र अलग अलग रखा।

कपिला जी को कला के क्षेत्र में अद्भुत योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। राज्यसभा की वो पूर्व मनोनीत सदस्य रहीं। कपिला जी इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र की संस्थापक सचिव थीं और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन ट्रस्टी भी थीं। उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्र और भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर और विद्वतापूर्ण पुस्तकें भी लिखी थीं। वह देश में भारतीय कला शास्त्र की आधिकारिक विद्वान मानी जाती थीं। उन्हें 1955 में पहले पद्मभूषण से नवाजा गया जबकि 1987 में पद्म विभूषण दिया गया। इसके अलावा उन्हें सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए यूनेस्को पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। कपिला जी ने कला के तमाम आयामों और भारतीय संस्कृति की विविधताओं पर तमाम पुस्तकें और ग्रंथ लिखे।

25 दिसंबर 1928 को जन्मीं कपिला वात्स्यायन राष्ट्रीय आंदोलन की प्रसिद्ध लेखिका सत्यवती मलिक की बेटी थीं। वह संगीत नृत्य और कला की महान विदुषी थीं। उनकी शिक्षा दीक्षा दिल्ली के अलावा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अमेरिका के मिशिगन विश्वविद्यालय में हुई थी।

संगीत नाटक अकादमी फेलो रह चुकीं कपिला जाने माने नर्तक शम्भू महाराज और मशहूर इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की शिष्या भी थीं। वह 2006 में राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्य नियुक्त की गई थीं और लाभ के पद के विवाद की वजह से उन्होंने राज्यसभा की सदस्यता छोड़ दी थी। इसके बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा की सदस्य मनोनीत किया गया।

दिल्ली के गुलमोहर एन्क्लेव में रहने वाली कपिला जी के निधन पर साहित्य, कला और संस्कृति जगत में शोक की लहर है। जाने माने कवि, साहित्यकार और संस्कृति के क्षेत्र में लंबे समय से समर्पित अशोक वाजपेयी ने उनके निधन पर गहरा शोक जताते हुए कहा है कि कपिला जी ने सहित्य, कला और संस्कृति के संवर्धन तथा विकास के लिए ऐतिहासिक काम किया। वह अपने आप में एक संस्था थीं और कला से जुड़ी संस्थाओं के निर्माण और कलाकारों के बीच संवाद कायम करने में एक सेतु का काम किया। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।

Posted Date:

September 16, 2020

3:55 pm Tags: , , , , , , , ,
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