देख तमाशा दुनिया का
आपने बोतल में जिन्न वाली कहानी सुनी है? होता यह है कि समंदर के किनारे घूम रहे एक बालक के हाथ एक बोतल लग जाती है। बोतल में एक जिन्न बंद होता है। जो स्वयं को आजाद किए जाने की गुहार लगाता रहता है। बोतल खोलते ही जिन्न बाहर आ जाता है और ऐसी खुराफातें और कारनामे करता है कि पूरा शहर, देश और दुनिया ही उसकी हरकतों से आजिज आ जाती है। आप कहेंगे कि इस कहानी का यहां क्या सरोकार?
अजी सरोकार सीधे-सीधे है। लॉकडाउन के चलते 130 करोड़ भारतीय भले ही घरों में कैद हों लेकिन इस दौरान हम में से अधिकांश लोगों ने यह साबित कर दिया है कि अवसर मिलते ही जिन्न की तरह बोतल से बाहर आ जाते हैं। जिन्न के बोतल से बाहर आने की कथा जितनी दिलचस्प है, उसके बोतल में जाने की कथा भी उतनी ही रोचक है। इस कथा का नायक भले ही इतिहास के पन्नों में लुप्त हो गया है। लेकिन मौजूदा दौर में देश के प्रधान सेवक को वर्तमान कथा का नायक माना जा सकता है जिन्होंने अपनी ताजा घोषणा में ऐलान कर दिया है कि लॉकडाउन 3 मई तक जारी रहेगा। उनकी इस घोषणा से छोटे-बड़े जितने भी जिन्न हैं सब के बोतल के अंदर जाने की संभावना बन गई है। वर्ना अभी तक तो हम “जिन्न-जिन्न फुफेरे भाई” का ही तमाशा देख रहे थे।
देश से जाते-जाते अंग्रेज हमें संपेरे, मदारियों का देश बता गए थे। हमें आजाद हुए करीब 73 साल हो गए। लेकिन कौन मदारी देश के किस हिस्से से अपनी डुगडुगी कब बजानी शुरू कर दे कहना मुश्किल है। “चोर-चोर मौसेरे भाई”, “जिन्न-जिन्न फुफेरे भाई” और “खरबूजे-खरबूजे जमाती भाई” की तर्ज पर भाई-भतीजावाद व अवसरवादिता भी हमारे देश के जाने-पहचाने वायरस हैं। इस वायरस ने महाराष्ट्र में रसूखदार ऐसे लोगों के गले में घंटी बांध दी जो कानून को अपने हाथ की कठपुतली समझते थे।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में पूर्ण बंदी लागू है। निषेधाज्ञा के चलते पांच से अधिक लोग एक जगह एकत्र नहीं हो सकते। सैर-सपाटे का तो मतलब ही नहीं। जय हो भाई भतीजावाद की जो महाराष्ट्र के प्रधान सचिव ने अपने लेटर हेड पर वधावन बंधुओं को तेईस परिजनों सहित खंडाला से महाबलेश्वर तक के सैर-सपाटे की मंजूरी दे दी। मंजूरी में काफिले में शामिल वाहनों के नंबर भी दर्ज थे। यह वृतांत आपको पता होगा। आगे का वृत्तांत आपको नहीं पता होगा। वधावन बंधु डीएचएफएल के प्रमोटर हैं और यस बैंक में हुए धनशोधन मामले में उनके खिलाफ गैरजमानती वारंट हैं। हाल ही में पेशी पर न जाने के लिए उन्होंने महामारी को ही आधार बनाया था।
पुलिस रडार से गायब वधावन बंधु सतारा पुलिस की बोतल में लापता जिन्न की तरह आ टपके। काफिले में शामिल वाहनों के नंबर की पड़ताल का खुलासा भी चौंकाने वाला है। गाड़ियों का कनेक्शन “डी” कंपनी के गुर्गों से बताया जा रहा है। सीबीआई ने सतारा पुलिस से वधावन बंधुओं को रिहा न करने का निर्देश दिया है। जब किसी राज्य के प्रधान सचिव को पूर्ण बंदी की परवाह नहीं है तो भला औरों से क्या आस? हम भले ही लोकतंत्र प्रणाली का अंग हों। लेकिन इस प्रणाली ने वैकल्पिक सत्ता के कई मार्ग अंगीकार कर रखे हैं। जो किसी को भी अंग भंग तक का अधिकार दे देते हैं। पटियाला में लॉक-डाॅउन के दौरान एक निहंग ने ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी के साथ जिस तरह का व्यवहार किया वह कोई पिशाच ही कर सकता है। यह कृत्य इस बात का सुबूत है कि कई जिन अभी बोतल से बाहर हैं। कोरोना की आड़ में कुदरत जिस तरह से अपने गुस्से का इजहार कर रही है वह संकेत है हम सब लोगों के लिए कि हम जिन्न के बोतल के भीतर जाने की कथा को भी याद रखें।
Posted Date:April 15, 2020
11:42 pm Tags: आलोक यात्री, देख तमाशा दुनिया का, महाबलेश्वर, पिकनिक, यस बैंक, वधावन बंधु