भारतीय रंगमंच के वरिष्ठ निर्देशक बंसी कौल का हिन्दी रंगमंच में अविस्मरणीय और महत्वपूर्ण योगदान है। पिछले कुछ समय से उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था, वह कैंसर से जुझ रहे थे, पर उनकी जिजीविषा और जिंदादिली अद्भुत थी। सबको उम्मीद थी कि वह इस स्थिति से उबर कर दोबारा सक्रिय हो जाएंगे। पर ऐसा नहीं हो सका। जिंदगी के नाटक का पटापेक्ष कर बंसी नेपथ्य में चले गए। बंसी कौल का यूं चले जाना रंगमंच की दुनिया के लिए एक गहरे सदमे की तरह है। अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक और जाने माने रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने बंसी कौल को कुछ इस तरह याद किया.