नहीं रहे गिरीश कर्नाड

जाने माने रंगकर्मी और फिल्मकार गिरीश कर्नाड नहीं रहे। लंबी बीमारी के बाद आज सुबह उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। गिरीश कर्नाड अपने मशहूर नाटक ‘तुगलक’ और फिल्मों में अपने अहम किरदारों की वजह से खासे चर्चित रहे और कन्नड़ साहित्य में उनका जबरदस्त योगदान रहा है। कर्नाड कन्नड़ भाषा के सशक्त हस्ताक्षर होने के साथ ही नाटककार,  अभिनेता और फ़िल्म निर्देशक थे। उनके बेहतरीन काम और साहित्य में अहम योगदान के लिए देश के सबसे प्रतिष्ठित ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।

19 मई, 1938 को महाराष्ट्र के माथेरान में गिरीश कर्नाड का जन्म हुआ था। बचपन से ही उनका लगाव नाटकों की ओर था। अपने स्कूली समय से ही कर्नाड थियेटर से जुड़ गए। अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे इंग्लैण्ड चले गए और वहीं पर आगे की शिक्षा हासिल की। भारत लौटने पर गिरीश कर्नाड ने मद्रास में सात साल तक ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के लिए काम किया। बाद में शिकागो गए और एक प्रोफ़ेसर के रूप में काम किया। इसके बाद फिर से भारत लौटने पर इन्होंने अपने साहित्य के ज्ञान से क्षेत्रीय भाषाओं में कई फ़िल्मों का निर्माण किया और पटकथा लिखने का काम किया।

लगभग चार दशकों से गिरीश कर्नाड नाटक के क्षेत्र में रचनात्मक रूप से सक्रिय थे। उनके नाटकों को इब्राहिम अलकाजी, ब.ब. कारंत, अलेक पद्मसी, अरविंद गौड़, सत्यदेव दुबे, विजय मेहता, श्यामानंद जालान और अमल अल्लाना जैसे थिएटर और रंगमंच के लब्धप्रति‍ष्ठत निर्देशकों ने निर्देशित किया है। गिरीश कर्नाड ने अभिनेता, निर्देशक और स्क्रीन लेखक के रूप में भारतीय सिनेमा को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सृजनात्मक प्रतिष्ठा प्रदान की है।

गिरीश कर्नाड केवल एक सफल पटकथा लेखक ही नहीं, बल्कि एक बेहतरीन फ़िल्म निर्देशक भी थे। उन्होंने वर्ष 1970 में कन्नड़ फ़िल्म ‘संस्कार’ से अपने सिने कैरियर की शुरूआत की। इस फ़िल्म की पटकथा उन्होंने खुद लिखी थी। इस फ़िल्म को कई पुरस्कार प्राप्त हुए थे। इसके बाद कर्नाड ने और भी कई फ़िल्में कीं। उन्होंने कई हिन्दी फ़िल्मों में भी काम किया था। इन फ़िल्मों में ‘निशांत’, ‘मंथन’, ‘उत्सव’, ‘स्वामी’, ‘पुकार’, ‘डोर’, ‘एक था टाइगर’, ‘टाइगर जिंदा है’ आदि उनकी कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं। गिरीश कर्नाड ने छोटे परदे पर भी अनेक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम और ‘सुराजनामा’ आदि सीरियल पेश किए। गिरीश कर्नाड ‘संगीत नाटक अकादमी’ के अध्यक्ष पद पर भी रह चुके थे।

अभिनेता और भारतीय रंगमंच को कर्नाड ने नई ऊँचाईयाँ दी हैं। उनकी सृजनशीलता के लिए उन्हें ‘पद्मश्री’ और ‘पद्मभूषण’ से भी सम्मानित किया जा चुका है। हाल ही में गिरीश कर्नाड को अमर उजाला ने अपने शब्द सम्मान के सर्वोच्च सम्मान आकाशदीप से भी सम्मानित किया था।

Posted Date:

June 10, 2019

10:47 am
Copyright 2024 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis