फोसवाल महोत्सव: युद्ध के खिलाफ साहित्य की भूमिका

नई दिल्ली। फोसवाल महोत्सव के तीसरे दिन  की शुरुआत ‘दो निर्रथक युद्धों की पीड़ा’ पर चर्चा से हुई। इस सत्र में केरल के लेखक, कवि के वी डोमिनिक, डिफेन्स जर्नलिस्ट नीरज राजपूत और समाजशास्त्री आशीष नंदी ने हिस्सा लिया। युद्धों के पीछे के कारणों पर चर्चा करते हुए के वी डोमिनिक ने कहा, “दुनिया भर में युद्ध कराने में धर्म का बड़ा हाथ रहा है। अधिकतर धार्मिक नेता लोगों को शांति और सहिष्णुता का पाठ पढ़ाने की बजाए इन्टॉलरेंस सिखा रहे हैं।” चर्चा को आगे बढ़ाते हुए पत्रकार नीरज राजपूत ने वार रिपोर्टिंग की बारीकियां बतायीं। इस मौके पर उनकी किताब ‘ऑपरेशन लाइव’ का  लोकार्पण भी हुआ।
नीरज राजपूत ने वार रिपोर्टिंग के अनुभवों को साझा करते हुए कहा,  “मिसाइलों की पहचान के लिए कोई तरीका होना चाहिए जिससे यह पता लगाया जा सके कि अस्पताल, स्कूल जैसी जगहों पर बमबारी करने वाले किस पक्ष के लोग हैं। युद्ध किये जाने के भी कुछ नियम बनाये जाने चाहिए। कहीं भी बमबारी करने पर रोक होनी चाहिए। जिससे आम लोगों को कम नुकसान हो। महाभारत काल में युद्ध एक क्षेत्र विशेष में होते थे। आम लोगों को निशाना नहीं बनाया जाता था।” उन्होंने अपनी बात विपिन रावत को उद्धृत कर खत्म  किया जिसमें उन्होंने कहा है कि “युद्ध रोकना चाहते हैं तो युद्धों के लिए तैयार रहिए। शक्तिशाली पर हमला करने से सभी भयभीत होते हैं।” समाजशास्त्री आशीष नंदी ने युद्धों को लेकर एक पहल की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा,  “ यूनाइटेड नेशन को एक कमीशन की स्थापना करनी चाहिए जो किसी भी युद्ध के शुरू होने की दशाओं का इन्वेस्टिगेशन कर सके। जो यह पता लगाए कि कोई भी गैरजरूरी युद्ध कैसे शुरू हो जाता है। यह बहुत मुश्किल विचार है मगर जरूरी भी। असल में युद्ध आरंभ करने को  अपराध घोषित किया जाना चाहिए।”
इस मौके पर पत्रकार नीरज राजपूत की किताब ‘ऑपरेशन z लाइव-रूस युक्रेन युद्द’ का विमोचन फांउडेशन ऑफ सार्क एंड राइटर्स की अध्यक्ष पद्मश्री अजीत कौर , मशहूर समाजशास्त्री आशीष नंदी, वरिष्ठ पत्रकार और चित्रकार देव प्रकाश चौधरी के हाय़ों हुआ। इसके  बाद के सत्र में कविता पाठ हुआ जिसमें नेपाल के मेघा राज शर्मा, बिधान आचार्य, सुष्मिता,  भूटान से थेरिंग पेल्डेन, श्रीलंका से एस पथमनाथन और भारत के बिष्नु मोहापात्रा, डॉ माज़ बिन बिलाल ने हिस्सा लिया।

इसके बाद के सत्र में युद्धों की पीड़ा पर फिर से  चर्चा हुई। इस सत्र को बांग्लादेश के प्रोफेसर मंजरुल इस्लाम, भूटान के डॉ रिनज़ीन रिनज़ीन और भारत से डॉ सुजाता प्रसाद और प्रभु चावला ने अपने विचार रखे।
मजरुल इस्लाम ने युद्ध पर लिखी गई कविताएं पढ़कर युद्ध में होने वाली संवेदनहीनता को बताया। सुजाता प्रसाद ने सूडान सहित दुनिया के अनेक देशों में फैली हिंसा और युद्ध की चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘हिंसा अनेक देशों में फैली हुई है मगर हम उस ओर बहुत कम ध्यान देते हैं।” डॉ रिनज़ीन रिनज़ीन ने  कहा, “हमारी दुनिया में पहले से ही इतनी समस्याएं हैं, हमें उन्हें सुलझाने की दिशा में काम करना चाहिए।”
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ के संपादकीय निदेशक प्रभु चावला ने अधिकतर युद्धों के लिए पोलिटिकल लीडर्स की मान्यताओं को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कोई किसी देश, धर्म या परिवार में पैदा हुआ है तो यह गुनाह नहीं है।” युद्ध कभी खत्म हो सकता है या नहीं इस प्रश्न के उत्तर में चावला ने कहा, “युद्ध कभी खत्म नहीं हो सकते क्योंकि अब यह अपनी टेरिटरी और बिजनेस बढ़ाने का जरिया बन चुका है।”
कार्यक्रम के अगले सत्र में अनुवाद के महत्व पर चर्चा हुई। अनुवाद की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए डॉ बिमल गुहा ने कहा, “अनुवाद सिर्फ साहित्य के लिए जरूरी नहीं है बल्कि अन्य क्षेत्रों की जानकारियां प्राप्त करने के लिए भी जरूरी है। जब हम कविताओं का अनुवाद कर रहे हों तो हमें कविताओं के भावों की समझ भी होनी चाहिए। जैसे कला को समझने के लिए पारखी नजर चाहिए वैसे ही कविता का अनुवाद करने के लिए भावनाओं की समझ होनी चाहिए।”

प्रो प्रवीण कुमार ने कहा, “अंग्रेजों ने सिर्फ एक भाषा अंग्रेजी को लादकर अलग -अलग स्थलों के साझे सच को नष्ट करने का काम किया। हर जगह की संस्कृति के कुछ मूल तत्व होते हैं जिसे समझने के लिए अनुवाद जरूरी है।” कवि, लेखक फकरुल आलम ने अपनी अनूदित कविताओं का पाठ कर अनुवाद के महत्व पर प्रकाश डाला।

इसके अगले सत्र में नेपाल, भूटान और भारत के कवियों ने कविता पाठ किया।  मुकुंदा प्रयास, डॉ के वी डोमिनिक, रोशन परियार, कविता सिंघल, रॉबिंसन और प्रो अभी सुबेदी ने अपनी- अपनी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।

आखिरी सत्र में श्रीलंका की कंचना प्रियकंथा और प्रो एस पथमनाथन ने कहानी और आलेख  पढ़ा। इस सत्र में महात्मा गांधी की पोती तारा गांधी भट्टाचार्य भी शामिल हुईं। उन्होंने फोसवाल महोत्सव आयोजित करने के लिए लेखिका अजीत कौर की प्रशंसा की।

Posted Date:

December 5, 2023

8:49 pm Tags: , ,

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