कला और संस्कृति के क्षेत्र में मज़बूत दखल रखने वाले पत्रकार आलोक पराड़कर ने पंडित बिरजू महाराज को उनके 80 साल पूरे करने पर किस बारीकी से देखा और महसूस किया, यह उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया। 7 रंग के पाठकों के लिए आलोक पराड़कर का वही आलेख साभार पेश है…
नृत्य में पुरुष
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बिरजू महाराज को लंबे समय से नृत्य करते देखता रहा हूं। चार फरवरी को उन्होंने अपने जीवन के 80 वर्ष पूरे कर लिए लेकिन संभव है अगले कुछ दिनों में वे फिर किसी मंच पर तत्कार कर रहे हों या गिनती की तिहाइयां दिखा रहे हों। वे खुद बताते हैं कि महज चार साल की उम्र रही होगी जब नृत्य करना शुरू कर दिया था। पिता को नृत्य करते देखते और रसोई में जाकर मां के सामने उसकी नकल दिखाते। छोटे-छोटे पैर, गिरते-फिर संभलते। मां महादेयी नृत्य नहीं करती थीं लेकिन बाद में उन्होंने गुरु की परोक्ष भूमिका निभाई क्योंकि पिता का साया महज नौ साल की उम्र में उठ गया। मां को बहुत सारी रचनाएं याद थीं जो उसने परिवार में देख-सुनकर याद रखी थीं। पिता अच्छन महाराज बड़े नर्तक थे। पिता ही क्यों, दोनो चाचा लच्छू महाराज और शंभू महाराज भी प्रसिद्ध नर्तक रहे। वास्तव में बिरजू महाराज ऐसे परिवार के प्रतिनिधि हैं, जहां नर्तकों की समृद्ध परंपरा रही है। अच्छन महाराज के पिता कालका महाराज और चाचा बिंदादीन महाराज भी ख्यातिलब्ध रहे और उनके पिता दुर्गाप्रसाद और चाचा ठाकुर प्रसाद भी दरबारी नर्तक थे जिन्होंने अवध के नवाब वाजिद अली शाह को नृत्य सिखाया। परिवार में इनके समकालीन महिलाओं के नाम लोकप्रिय नहीं हुए।
नर्तकों की यह परंपरा इस कारण भी रही होगी कि मंच पर महिलाओं को मनाही थी। जिन महिलाओं ने तब संगीत में अपनी पहचान बनाई उन्होंने समाज से बगावत की लेकिन अब जब ऐसा नहीं है क्या नृत्य केवल महिलाओं तक नहीं सिमट रहा है? खुद बिरजू महाराज कहते हैं कि मैं कथक में पुरुषों को देखने के लिए तरस जाता हूं। सच है कि अब कथक और दूसरे शास्त्रीय नृत्यों में महिलाओं की प्रधानता है और कम ही पुरुष इसमें अपना कैरियर बना रहे हैं।
ऐसे में इस उम्र में भी बिरजू महाराज के नृत्य को क्या हम इस कोशिश के रूप में भी नहीं रेखांकित कर सकते कि महिलाएं जब हर कार्य में पुरुषों से कंधा मिला रही हैं, कोमलता और संवेदना के धरातल पर पुरुष भी उनकी बराबरी करें। नृत्य लास्य है, वहां खुद को भुलाकर मगन होना होता है। अपनी अकड़ नहीं चलती, ताल और लय की संगत होती है। राधा और कृष्ण के बहाने प्रेम में डूबना है। बिरजू महाराज के प्रति आदर नृत्य के उस आकाश में सक्रियता बनाए रखने का आह्वान भी है, जहां उड़ने के लिए अहंकार की तिलांजलि आवश्यक है। यह अपने भीतर एक स्त्री को बचाए रखने की कोशिश भी है!
Posted Date:February 4, 2019
10:30 pm Tags: Alok Paradkar, Birju maharaj, Pt. Birju Maharaj, Kathak Samrat, #Birjumaharaj