ट्रांसजेंडरों के लिए अलग साहित्य अकादमी पुरस्कार हो

  • नई दिल्ली 9 मार्च। प्रसिद्ध ट्रांसजेंडर लेखक कल्कि सुब्रमनियम ने साहित्य अकादमी से अपने समुदाय के लोगों के लिए एक अलग पुरस्कार शुरू करने की मांग की।
    कल्कि ने आज साहित्योत्सव के तीसरे दिन ट्रांसजेंडर साहित्य के बारे में गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए यह मांग की।
    उन्होंने कहा कि समाज को चाहिए कि वे हमारे समुदाय के लोगों को मुख्यधारा में शामिल करें। आखिर हम भी मनुष्य हैं और हमारी संवेदना तथा भावनाएं पुरुषों जैसी है लेकिन हमें परिवार और समाज से तिरस्कार मिलता है और हम बहिष्कृत लोग हैं।
    उन्होंने कहा कि हम भी कविता कहांनी लिखते हैं। इसलिए हमारी पहचान एक लेखक के रूप में होनी चाहिए। उन्होंने साहित्य अकादमी के प्रति आभार प्रकट किया कि उसने हमें देश भर से बुलाया और अपनी बात कहने का अवसर दिया।
    उंन्होने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां सभी भाषाओं और संस्कृति के लोगों के लिए जगह होनी चाहिए और सबके लिए समान अवसर होना चाहिए।
    उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडर अपने शरीर से ही पहचान में आ जाते हैं लेकिन हमारे शरीर से हमारी पहचान नहीं होनी चाहिए बल्कि गुणों के आधार पर होनी चाहिए।हमारी प्रतिभा की कद्र होनी चाहिए। हमें अपनी पहचान मिलनी चाहिए। हमको आम लोगों की तरह एक मनुष्य समझा जाये।
    उन्होंने अंत मे एक कविता सुनाई जिसमें उन्होंने कहा कि फिलिस्तनियों की तरह उनक़ा भी कोई घर नहीं है। वे बेघर लोग हैं। नाच गाकर जीवन यापन करते हैं।
    उन्होंने समाज में अपने साथ होने वाले भेदभाव अन्याय यौन शोषण बलात्कार का भी जिक्र किया और संसार को सुंदर समावेशी बनाने की अपील की।

अरविंद कुमार की रिपोर्ट

Posted Date:

March 9, 2025

7:31 pm

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