देश के विभाजन हुए 75 वर्ष हो रहे हैं । उस काल को देखने वाले अब बहुत कम ही लोग हमारे बीच हैं । लेकिन विभाजन ने दोनों देश के बीच जो दरार पैदा की थी, जो दर्द छेड़ा था, आज भी रह – रह कर टीस मारता रहता है । लोगों के जेहन से उतर नहीं पाया है । अस्मिता थिएटर ग्रुप ने 3 जुलाई को उस स्मृति को दर्शकों के बीच रंगकर्म के माध्यम से याद दिलाने का सफल प्रयास किया । नाटक का नाम था ‘ पार्टीशन’ । इसका मंचन हुआ था मंडी हाउस के त्रिवेणी सभागार में । विभाजन पर लिखी मंटो की कहानी को देखने के लिए जितने लोग अंदर बैठे थे, उतने ही बाहर खड़े थे । देखने के लिए दर्शकों का सैलाब टूटा पड़ा था ।
इस नाटक के निर्देशक अरविंद गौड़ का कहना था कि 20 वर्षों के बाद त्रिवेणी सभागार में नाटक होने जा रहा है । अमूमन इस सभागार में साहित्यिक, संगीत के कार्यक्रम ही होते हैं । ये भी उन्होंने घोषणा की कि हर महीने इस सभागार में दर्शकों के लिए जनपक्षीय नाटक करेंगे और वो भी निःशुल्क । कोरोना के बाद अस्मिता की यह पहली प्रस्तुति थी । और जिस तरह उनका दर्शकों ने इस्तकबाल किया, उसको देख कर अरविंद गौड़ ने फिर से नुक्कड़ और मंच पर अपनी सक्रियता का भरोसा दिलाया ।
नाटक ‘पार्टीशन’ में अरविंद गौड़ ने मंटों की उन कहानियों का चयन किया था जो मुख्य रूप से बंटवारे को लेकर था। प्रारंभ उनकी मशहूर कहानी ‘टोबा टेक सिंह’ से किया था। इसी क्रम में ‘खोल दो’ , ‘ खुद की कसम’ और अन्य कहानियां थी । लगभग 50 कलाकारों ने अपनी विभिन्न संयोजन से विभाजन के बाद लोगों के वतन छोड़ कर जाने के दर्द को इतने भावनात्मक रूप से उतार कि देखने वाले हिल सा गए । मंटों की कहानियां जैसे उन्हें आज भी जोड़ रही हो । उन कहानियों की प्रासंगिकता उन्हें आज भी महसूस हो रही थी । धर्म के नाम पर इनदिनों राजनीतिक लोग घिनौना खेल खेल रहे हैं, उन खतरों को इस नाटक के माध्यम से महसूस कर रहे थे ।
अरविंद गौड़ ने यह नाटक केवल इतिहास दिखने के लिए नहीं किया, शायद आने वाले खतरों से सावधान करने के लिए भी किया हो । और इस मकसद में अरविंद गौड़ सफल रहे । नाटक समाप्त होने के बाद लगभग आधे घंटे तक अरविंद गौड़ ने दर्शकों से जिस तरह संवाद किया और दर्शकों के जिस तरह जवाब आये, स्पष्ट कर रहा था कि वे अपने उद्देश्य में सफल रहे । और किसी भी प्रस्तुति का यही तो लक्ष्य होता है ।
(राजेश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार)
Posted Date:July 4, 2022
6:47 pm Tags: arvind gaur, Rajesh Kumar, play partition, triveni theatre