
प्रयाग शुक्ल की बेटी की स्मृति में युवा कलाकार को मिला पहला पुरस्कार
नई दिल्ली 9 मार्च। महाराष्ट्र के युवा चित्रकार गिरीश उरगुडे को आज यहाँ प्रथम वर्षिता शुक्ल वेंकटेश स्मृति पुरस्कार से नवाजा गया।
प्रख्यात लेखक अशोक वाजपेयी कला समीक्षक प्रयाग शुक्ल, जाने माने चित्रकार जतिन दास और गोपी गजवानी ने श्री उरगुडे को यह पुरस्कार दिया।पुरस्कार में 50 हज़ार रुपए की राशि प्रशस्ति पत्र एवम प्रतीक चिन्ह शामिल है।
श्रीमती वर्षिता वेंटकेश गोविंद राजन का कोविड में कैंसर के कारण अल्पायु में निधन हो गया था।
पुरस्कार का चयन श्री प्रयाग शुक्ल और श्रुति लखनपाल टण्डन की ज्यूरी ने किया है।
श्री शुक्ल ने अपनी पुत्री वर्षिता वेंटकेश को याद करते हुए कहा कि मेरी पुत्री मेरे लिए मेरी बेटी कम दोस्त अधिक थी और कला संगीत में उसे गहरी दिलचस्पी थी।उसने जेएनयू से स्पेनिश में बी ए किया था लेकिन वह इतनी प्रतिभाशाली थी कि जब वह नार्वे में बस गयी तो वह नार्वेजियन भाषा भी बोलने लगी और वहाँ यह भाषा भी पढ़ाने लगी। एक बार जब मैं नार्वे गया तो उसे इस भाषा में बोलते देखकर दंग रह गया। उसके डॉक्टर से मैंने पूछा कि वह नार्वेजियन भाषा कैसा बोलती है तो डॉक्टर ने कहा कि अगर आप आंख बंद कर लें तो लगता है कोई नार्वे का आदमी बोल रहा लेकिन आंख खोलने पर पता चलता था कि कोई भारतीय बोल रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्षिता मेरे सभी चित्रकार मित्रों और लेखक मित्रों से घुल मिल गयी थी और एक बार तो उसने मेरे 65 वें जन्मदिन पर मुझे बताए बिना कृष्णा सोबती, वैद साहब, हिम्मत शाह आदि को घर पर बुलाकर मुझे आश्चर्य में डाल दिया था। वह कलाकारों के शो भी क्यूरेट करने लगीं थी और उसमें अद्भुत प्रबंधन क्षमता थी। उसने हेमंत राव का क्यूरेट किया था। जब वह 2020 में कोविड में नहीं रही तो उसकी इस प्रतिभा को देखते हुए उसकी स्मृति में कुछ करने का मन हुआ। पहले भोपाल में घर के पास एक पार्क का नामकरण उसके नाम पर किया और अब युवा चित्रकारों के लिए यह पुरस्कार शुरू किया है।
अशोक वाजपेयी ने कहा कि वह जब ललित कला अकादमी के अध्यक्ष थे तो वर्षिता की प्रतिभा को देखते हुए उसे अकेडमी से जोड़ना चाहा और उप सचिव बनाना चाहा पर अकादमी के एक सचिव द्वारा अड़ंगा लगाने से यह सम्भव नहीं हो सका। उन्होंने कहा कि वर्षिता की खूबियों से वह परिचित थे और उसकी प्रबंधन क्षमता के मुरीद थे। उन्होंने कहा कि यह देखकर उन्हें खुशी हो रही है कि उसकी स्मृति में यह पुरस्कार शुरू किया गया और युवा प्रतिभा को दिया जा रहा है।
श्रुति लखनपाल टण्डन ने उरगुडे का परिचय दिया और बताया कि उन्होंने मुम्बई के जे जे कालेज ऑफ आर्ट से पढ़ाई कर आजकल दिल्ली में कला में सक्रिय हैं।
पुरस्कृत चित्रकार उरगुडे ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि उन्हें देश के बड़े चित्रकारों और लेखकों के हाथों यह पुरस्कार मिल रहा है। उंन्होने बताया कि नागपुर से बी ए करने के बाद उन्होंने जे जे स्कूल ऑफ आर्ट से आगे की पढ़ाई की फिर भोपाल भी रहे।एक साल से दिल्ली में हैं और एब्स्ट्रैक्ट पेंटर हैं तथा पिछले दिनों त्रिवेणी कला संगम में उनक़ा एक शो भी हुआ। समारोह में पहले विश्वजीत राय चौधरी का सरोद वादन हुआ। उन्होंने अपने सरोद वादन से लोगों को मंत्रमुग्ध कर किया।
विमल कुमार की रिपोर्ट
Posted Date:
March 9, 2025
10:36 pm
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