विषम दौर में शब्द ही बनता है रक्षा कवच : ममता कालिया 
 
“गालियों, तालियों ने लिफाफा कर दिया भारी, कविता हो गई बेचारी” : अतुल गर्ग 
गाजियाबाद। वरिष्ठ कथाकार ममता कालिया का कहना है कि हम एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। सूचना का यह दौर हमारी सोच और संवेदनशीलता पर निरंतर आघात कर रहा है। इनके अविराम आदान-प्रदान से लगता है कि पूरा देश ही कुरुक्षेत्र बना हुआ है। हर एक अपने-अपने तरीके से महाभारत से जूझ रहा है। ऐसे दौर में “शब्द” ही रक्षा कवच का काम करता है। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के 5वें वार्षिकोत्सव और सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का गवाह है कि विपरीत परिस्थितियों में लेखन ही रक्षा कवच की भूमिका में खड़ा होता है।
 
  आईटीएस मोहन नगर के प्रेक्षागार में आयोजित समारोह का शुभारंभ करते हुए सूबे के मंत्री अतुल गर्ग ने कहा कि अधिकांश साहित्यिक मंचों पर मर्यादा और शालीनता का चीर हरण तकलीफदेह है। उन्होंनें हास्य के नाम पर मंचों पर बढ़ती फूहड़ता पर चुटीले बाण चलाए। उन्होंने कहा कि अधिकांश साहित्यिक मंचों पर सत्तासीन लोगों के तिरस्कार की एक नई प्रवृत्ति जन्म ले रही है। कवि सम्मेलन में उन सरीखे लोगों को अतिथि बनाकर बुला तो लिया जाता है लेकिन वहां जिस फूहड़ और अभद्र भाषा में राजनेताओं को निशाना बनाया जाता है वह न तो साहित्य के दायरे में आता है, न ही बर्दाश्त के काबिल है। श्री गर्ग ने कहा कि वह अमर भारती के आयोजनों में पहले भी आते रहे हैं। अमर भारती के कार्यक्रम में आकर आंखों में आंसू नहीं आते, झोली खुशियों से भर जाती है। काव्य मंच पर कविता के नाम पर मिल रही गालियों के इस दौर में ऐसे कार्यक्रम साहित्य और भाईचारे को पल्लवित करने की एक जरूरी कोशिश हैं। श्री गर्ग ने ऐसे सरस्वती पुत्रों को सिरे से खारिज किया जो भारी-भरकम लिफाफे और तालियों की वजह से साहित्य की गरिमा को तार तार कर रहे हैं। श्री गर्ग ने कहा कि वह अमृता प्रीतम, हरिवंश राय बच्चन और निराला को पढ़ कर बड़े हुए हैं। वह दौर था जब इलाहाबाद, बनारस, लखनऊ, कोलकाता साहित्य के गढ़ माने जाते थे। गाजियाबाद भी अब न  सिर्फ इस जमात में शामिल हो गया है बल्कि साहित्य के पटल पर अपनी जोरदार उपस्थिति भी दर्ज करा रहा है।
 
  कार्यक्रम में गीतकार डॉ. माहेश्वर तिवारी, रचनाकार महेश दर्पण, व्यंग्यकार आलोक पुराणिक, गीतकार आशा शैली, ग़ज़लकार रिफ़अत शाहीन एवं युवा प्रतिभा समृद्धि अरोड़ा को सम्मानित किया गया। अपने संबोधन में डॉ. तिवारी ने कहा कि हम विद्यापति, कबीर और निराला नहीं हो सकते। लेकिन हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा सकते हैं। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के ऐसे ही आयोजन इस विरासत को न सिर्फ संजोते हैं बल्कि साहित्य को संरक्षित भी करते हैं। आलोक पुराणिक ने कहा कि व्यंग्य विसंगतियों से ही जन्म लेता है। मौजूदा दौर व्यंग्य के लिए उपयुक्त समय है। उन्होंने कहा कि अभी तक हम सप्रयास व्यंग्य गढ़ते थे। अब सरकारी कामकाज के स्तर पर व्यंग्य खुद-ब-खुद सामने आ रहे हैं। सीबीआई में चल रही उठापटक किसी व्यंग्य से कम नहीं है। श्री पुराणिक ने कहा कि आज भारत की तीन विभिन्न तस्वीरें देखने को मिल रही हैं। 5 करोड़ लोगों का भारत अमेरिका प्रतीत होता है तो 35 करोड लोगों का भारत मलेशिया नजर आता है। वहीं 80 करोड़ का एक भारत ऐसा भी है जिसकी सूरत युगांडा से मिलती है। अपने संबोधन में श्री दर्पण ने कहा कि दिल्ली की गली नंबर 7 जहां जैनेंद्र कुमार रहते थे और विष्णु प्रभाकर का ठिकाना कुंडेवालान आज सूना है। उन्होंने कहा कि आज सम्मान मर्सिया सा लगता है। राहुल सांस्कृत्यायन के नाम पर देश में एक भी सड़क नहीं है। जबकि विदेशों में साहित्यकार सड़क, गली, स्मारक के रूप में आज भी जिंदा हैं। औद्योगिक विकास निगम की क्षेत्रीय प्रबंधक सुश्री स्मिता सिंह ने कहा कि साहित्य के क्षेत्र में गाजियाबाद ने इलाहाबाद को पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि वह गाजियाबाद में ही इलाहाबाद को अवतरित होते हुए देख रही हैं।
सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि जीवन की आपाधापी में मूलभूत चीजें छूट रही हैं। हम लोग एक मशीनी जिंदगी के आदी हो गए हैं। आदमी और आदमीयत के लिए साहित्य जरूरी है। कार्यक्रम का संचालन तरुणा मिश्रा और सुरेंद्र शर्मा ने किया। संस्थान के अध्यक्ष एवं संरक्षक मंडल से जुड़े डॉ धनंजय सिंह, आनंद सुमन सिंह एवं गोविंद गुलशन ने अतिथियों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर प्रख्यात कवि एवं चित्रकार हरिपाल त्यागी, डॉ. सीता सागर, सरवर हसन सरवर, सुभाष चंद्र, अपर्णा पुराणिक, डॉ. वीना मित्तल,बबली वशिष्ठ, अमरेंद्र राय, आई.टी.एस. के जनसंपर्क निदेशक सुरेंद्र सूद, निदेशक आईटी डॉ सुनील पांडे, सुभाष अखिल, आलोक यात्री, प्रवीण कुमार, तुलिका सेठ, राकेश मिश्रा, सुरेंद्र सिंघल, शिवराज सिंह, डॉ अतुल जैन, अंजू जैन, वी. के. शेखर, सुरेंद्र अरोड़ा, डॉ. रमा सिंह, राकेश रेणु, रवि पाराशर, कल्पना कौशिक, एम. के. चतुर्वेदी मयंक,आर.के. भदौरिया, इंद्रजीत सुकुमार, कीर्ति रत्न, डॉ. राजीव पांडेय, स्नेह लता गुप्ता, डॉ. पूनम सिंह, आर.पी. बंसल, प्रीति परेशां, इंदु शर्मा, डॉ ईश्वर सिंह तेवतिया, प्रदीप पुष्पेंद्र, सोनम यादव, कमलेश संजीदा, व्यंजना पांडेय, पूजा शर्मा, प्रेम किशोर शर्मा, मेघ पांडे, प्रशांत वत्स, सुशील शर्मा, आलोक सिंहा, रामवीर आकाश, राज चैतन्य, बी. एल. बत्रा मुकेश गैरोला, मधु सिंह, रितेश शर्मा, राजीव सिंघल, एड. भारतेंदु शर्मा, एड. सत्यकेतु सिंह सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।
Posted Date:

October 29, 2018

2:21 pm Tags: , , , , ,
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