गाजियाबाद। देश के प्रतिष्ठित गीतकार डॉ. धनंजय सिंह के 77वें जन्मदिन पर अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान ने अमृत महोत्सव मनाया। इस मौके पर तमाम साहित्यकारों और साहित्यप्रेमियों ने धनंजय सिंह के रचना संसार पर कहा कि कई बहुत ज्यादा लिखते हैं, लेकिन कुछ लोग कम लेकिन सार्थक और जन सरोकारों से जुड़ी रचना करते हैं। रचनाकार को उसकी रचनाओं की संख्या के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए। बल्कि उनकी गुणवत्ता के आधार पर आंका जाना चाहिए। डॉ. धनन्जय सिंह की रचनाएं भले ही ज्यादा न हों, लेकिन वे उच्च स्तरीय हैं। वक्ताओं ने ये भी कहा कि डॉ. धनंजय सिंह खुद तो बड़े गीतकार थे ही लेकिन इनका उससे भी बड़ा योगदान गीतकारों और साहित्यकारों की नई पौध तैयार करना रहा है। इन्होंने नए लेखकों की भरपूर मदद की और उनके लेखन को संवारा।
कार्यक्रम के खास मेहमान और जाने माने कवि प्रो. दिविक रमेश ने डॉ धनंजय सिंह के रचना संसार पर अपनी बात रखी और उन्हें अपने दौर का एक जरूरी गीतकार बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. जे. एल रैना ने की। प्रो. सुनील कुमार पांडे विशिष्ट अतिथि थे और कार्यक्रम का संचालन कवि और एडवोकेट प्रवीण कुमार ने किया।
इस अवसर पर डॉ धनंजय सिंह पर प्रकाशित एक अभिनंदन ग्रंथ का विमोचन भी किया गया। इस अभिनंदन ग्रंथ को ‘काव्य रथ के सव्यसाची’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया है। इसका संपादन प्रो. हरिमोहन और प्रवीण कुमार ने किया है। अभिनंदन ग्रंथ में देश के प्रतिष्ठित 44 लोगों ने अपनी यादें साझा की हैं। डॉ. धनंजय सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला है। इनमें अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान से व्यंग्य विधा में ढाई लाख का पुरस्कार प्राप्त करने वाले देश के मशहूर व्यंग्यकार सुभाष चंदर भी शामिल हैं।
ड़ॉ. धनंजय सिंह ने देश की प्रतिष्ठित पत्रिका कादम्बिनी में 28 वर्षों तक नौकरी की। इनकी दो पुस्तकें प्रकाशित हैं। पलाश दहके हैं और दिन क्यों बीत गए….इनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालने वाले वक्ताओं ने इस ओर भी लोगों का ध्यान खींचा।
इस कार्यक्रम में भी उस परंपररा का निर्वाह किया गया। मशहूर गजलकार सुरेंद्र सिंघल ने प्रो. दिविक रमेश को माला पहना कर उनका स्वागत किया। गोविंद गुलशन ने सुनील कुमार पांडे, रमेश भदौरिया ने प्रो. रैना का माला पहना कर स्वागत किया। कार्यक्रम के विशेष आकर्षण डॉ. धनंजय सिंह को तो उनके चहेतों ने शाल पहनाकर फूल-मालाओं से लाद दिया। उनका स्वागत करने वालों में परिंदे पत्रिका के संपादक ठाकुर प्रसाद चौबे, राजमणि श्रीवास्तव, ममता सिंह राठौर, नेहा वैद्य, पराग कौशिक, कमलेश त्रिवेदी फरूखाबादी, रमेश भदौरिया, सुनील पांडे, दिविक रमेश, प्रो. रैना प्रमुख रहे। डॉ. धनंजय सिंह को बधाई देने वालों में राज चैतन्य, ऊषा जी, डॉ. प्रीति कौशिक, कुलदीप जी भी शामिल रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक तरीके से सरस्वती वंदना से हुई। गीतकार नेहा वैद्य ने यह सरस्वती वंदना लिखी भी थी औऱ अपने मधुर आवाज़ में पेश भी की। कई वक्ताओं ने धनंजय सिंह की कविताओं का जिक्र किया और पाठ भी किया। खुद धनंजय सिंह ने भी अपनी दो रचनाएं सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। आज पहली बार मैंने मौन की चादर बुनी है और गीत जीने का मन ही न हो, गीत गाने से क्या फायदा….।
Posted Date:October 11, 2021
1:55 pm