लखनऊ। भरतनाट्यम शैली के अलावा कथक और अन्य नृत्य शैलियों को मिलाकर कुछ नए प्रयोग करने वाली नृत्यांगना लक्ष्मी श्रीवास्तव एक बार फिर अपनी मशहूर नृत्य नाटिक ‘उषा परिणय’ का मंचन करने जा रही हैं। इसका आयोजन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद और उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से 13 जुलाई को होने जा रहा है। डॉ योगेश प्रवीण इसके रचनाकार हैं और हेम सिंह ने संगीत दिया है।
‘रामगढ़ की नर्तकी’, ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’, ‘प्रेम प्याला’, ‘मेघदूत’ जैसी अपनी कई यादगार नृत्य नाटिकाओं से मशहूर लक्ष्मी श्रीवास्तव ने ‘उषा परिणय’ में कई नए प्रयोग किए हैं और मानती हैं कि पारंपरिक नृत्य शैलियों में भी वक्त के साथ बदलाव की पूरी गुंजाइश है। वो कहती हैं कि भरत नाट्यम और कथक शैली की अपनी पारंपरिक पहचान है और दुनियाभर में भारत की इन नृत्य शैलियों ने अपनी छाप छोड़ी है। दरअसल शुद्ध शास्त्रीय नृत्य को अगर नाटक के कथ्य के साथ जोड़ दिया जाए तो एक खास शैली विकसित होती है। इसमें पौराणिक और ऐतिहासिक कथाओं के पात्र सजीव हो उठते हैं और दर्शक इन नृत्य नाटिकाओं में बंध जाते हैं।
‘उषा परिणय’ दरअसल वेदव्यास लिखित श्रीमद् भागवत के एक खास अध्याय पर केन्द्रित है जो द्वापर युग में प्रेम और सौंदर्य की शास्त्रीय और पारंपरिक रचना है। इसके ज़रिये मौजूदा पीढ़ी को पौराणिक कथाओं के कुछ अनछुए पहलुओं से परिचित कराने की कोशिश है।
Posted Date:
July 11, 2017
3:30 pm Tags: लक्ष्मी श्रीवास्तव, उषा परिणय, भरतनाट्यम शैली, नृत्य नाटिका उषा परिणय