बोधगया बिनाले में दिखा अदभुत बिहार

बोधगया बिनाले में रविवार का दिन बिहार और कश्मीर के कलाकारों के नाम रहा और कई महत्वपूर्ण लोगों की आवाजाही बनी रही। जानी-मानी सिने तारिका सारिका ने भी कलाकृतियों को देखा और सराहा। सारिका ने बाइस्कोप प्रदर्शनी की औपचारिक शुरुआत करते हुए कहा कि बोधगया बिनाले एक महत्वपूर्ण कला आयोजन है और लोगों को इसे देखना चाहिए। सारिका खासतौर पर बिहार की लोककला से प्रभावित दिखीं।

     

बिनाले के दूसरे दिन की शुरुआत हुई राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित बिहार के जाने-माने कलाकार अमेरश कुमार की प्रदर्श कला से। अमेरश ने बिनाले कैंपस में मिट्टी के चूल्हों से अपनी कलाकृति बनायी है। उन्होंने छठ व्रती के तौर पर ठेकुआ बनाया और उसे वहां मौजूद कलाकारों और कलाप्रेमियों को समर्पित किया। इस कड़ी में दूसरा प्रदर्शन परफॉर्मिग आर्ट में देश के सबसे बड़े नाम इंदर सलीम का था जिन्होंने कश्मीर व्यंजन बाजवान को पारंपरिक तरीके से कलाप्रेमियों के समक्ष परोसा।

  

कला पर गंभीर बहस भी एक अलग मुकाम पर दिखी। रविवार को दो अलग-अलग विषयों पर दो सत्रों में बातचीत की गयी। इसमें पहला सत्र पीस कॉन्फ्लिक्ट एंड आर्ट का था जिसमें देश के ख्यातिलब्ध कला चिंतक वाई एस एलोनी और डॉ. एस संतोष ने अपने-अपने विचार रखे। दूसरे सत्र में एग्जिबिशन, म्यूजियम एंड बिनाले विषय पर देश के जाने-माने कलाकार नानक गांगुली और कला लेखक विनोद भारद्वाज ने अपने विचार रखे। विनोद भारद्वाज ने बोधगया बिनाले को एक महत्वपूर्ण कला आयोजन बताते हुए कहा कि देश में यह पहला आयोजन है जिसमें हिन्दी भाषा को प्रमुखता दी गयी है।

 

रविवार को बिनाले में फिल्मों की क्यूरेटेड प्रदर्शनी की शुरुआत हुई। इसमें पहली फिल्म देश के वरिष्ठ कलाकार गणेश पाइन पर बनी फिल्म ए पेंटर ऑफ एलोक्वेंट साइलेंस: गणेश पाइन दिखायी गयी, जिसे बुद्धदेव दासगुप्ता ने बनायी थी। मिथिलांचल में प्रचलित लोकगाथा राजा सलहेस के किरदार पर बनी प्रवीण कुमार की फिल्म नैना-जोगिन भी कलाप्रेमियों को दिखायी गयी।

Posted Date:

December 19, 2016

9:21 am
Copyright 2024 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis