17 दिनों की चहल पहल, करीब दो सौ से ज्यादा नाटकों के मंचन और तमाम पुस्तकों के लोकार्पण के साथ भारत रंग महोत्सव का 25वां संस्करण खत्म हो गया। एनएसडी का यह चर्चित आयोजन रंगकर्मियों के लिए एक नई उम्मीद और उत्साह लेकर आता है और अब इसका दायरा पहले से कहीं बड़ा हो गया है। आयोजन बेशक सरकारी तामझाम और सीमाओं में बंधा हो, लेकिन यहां कला और संस्कृति के तमाम रूप सामने आते हैं। 7 रंग के लिए वरिष्ठ पत्रकार, कवि और लेखक अरविंद कुमार ने लगातार भारंगम की खबरों और गतिविधियों से आपको रू ब रू करवाया। अब आयोजन की समाप्ति पर अरविंद कुमार की विस्तृत रिपोर्ट
एनएसडी पर विशेष डाक टिकट जारी, उप राज्यपाल ने आयोजन की समाप्ति पर रंगमंच की अहमियत बताई और अपने भाषण में कई शेर सुनाए…
11 पुस्तकों का लोकार्पण “श्रुति” में हुआ
पिछले 17 दिनों से राजधानी में धूमधाम से चल रहा भारत रंग महोत्सव एनएसडी पर डाक टिकट जारी होने और प्रख्यात लेखक धर्मवीर भारती के प्रसिद्ध कृति कनुप्रिया के मंचन के साथ समाप्त हो गया।
दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने समारोह में डाक टिकट जारी किया और अपने भाषण में रंगमंच की दुनिया की अहमियत को तमाम ऐतिहासिक संदर्भों में बताया। उन्होंने नए कलाकारों को किसी सम्मान या अवार्ड की चाहत किए बगैर अपना सर्वश्रेष्ठ देने को कहा। उन्होंने यह भी कहा कि अभिनेताओं को सफल होने के बाद अहंकार औऱ अभिमान नहीं करना चाहिए। सक्सेना ने भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत तथा राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी ) की भूमिका बताते हुए यह भी जोर दिया कि एक अच्छे समाज के निर्माण में नागरिकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
1999 में शुरू हुए औऱ इस वर्ष 25 वर्ष पूरे कर चुका भारंगम दुनिया का सबसे बड़ा थिएटर महोत्सव बन चुका है, जिसमें लगभग एक लाख दर्शकों ने भाग लिया। हडको (HUDCO) के सहयोग से एक विशेष खंड ‘लोकरंगम’ भी महोत्सव का हिस्सा रहा, जिसमें लोक कला और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को प्रोत्साहन दिया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि संस्कृति मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री रंजना चोपड़ा थीं। वहीं, विशिष्ट अतिथि थीं संस्कृति मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री उमा नंदुरी। भारंगम महोत्सव एंबेसडर, सुप्रसिद्ध अभिनेता राजपाल यादव भी थे। पद्म पुरस्कार से सम्मानित एवं एनएसडी के पूर्व निदेशक प्रो. राम गोपाल बजाज, वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस कार्यक्रम में शामिल हुए। इस सत्र की अध्यक्षता की एनएसडी सोसायटी के उपाध्यक्ष प्रो. भरत गुप्त ने।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी ) के निदेशक चित्तरंजन त्रिपाठी ने बताया इस महोत्सव में दुनिया भर के 57 देशों से कुल 2100 नाटकों का मंचन किया गया, जिससे इसे दुनिया का सबसे बड़ा थिएटर महोत्सव बनाने का गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष पहली बार भारंगम ने अंतरराष्ट्रीय दर्शकों तक अपनी पहुंच बनाई है। कार्यक्रम का संचालन जाने-माने टीवी एंकर श्रीवर्धन त्रिवेदी ने किया।
समारोह के बाद कोरस रिपर्टरी थिएटर द्वारा ‘कनुप्रिया’ का मंचन किया गया, जो मणिपुरी भाषा में प्रस्तुत नाटक आधुनिक और शास्त्रीय संस्कृत प्रभावों को खूबसूरती से समाहित करता है। ‘कनुप्रिया’ राधा और कृष्ण के शाश्वत प्रेम की गहन अभिव्यक्ति है, जो विरह की पीड़ा, आध्यात्मिक तड़प और प्रेम के अनंत स्वरूप को अत्यंत भावनात्मक गहराई के साथ प्रस्तुत करता है। इस नाटक का निर्देशन प्रख्यात रंग निर्देशक रतन थियम ने किया।
एलाइड इवेंट्स के अंतर्गत, युद्धवीर बकोलिया के निर्देशन में ‘धरती की पुकार’ नामक नाटक प्रस्तुत किया गया। इस नाटक में एनएसडी के वरिष्ठ नागरिक कलाकारों ने भाग लिया, जो विशेष रूप से उनके लिए डिज़ाइन किए गए एक लघु पाठ्यक्रम में नामांकित थे। नाटक में वैश्विक तापमान वृद्धि और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला गया।
अद्वितीय के 20वें दिन, टॉक शो के अतिथि प्रसिद्ध गीतकार, गायक और अभिनेता स्वानंद किरकिरे थे, जो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के पूर्व छात्र भी हैं। ‘स्वानंद: एक सपना’ नामक इस कार्यक्रम की मेजबानी एनएसडी के पूर्व छात्र अजय कुमार ने की, जो एनएसडी रेपर्टरी के एक वरिष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ एनएसडी में थिएटर संगीत भी पढ़ाते हैं। दोनों ने एक विचारोत्तेजक बातचीत में भाग लिया।
महोत्सव के राजदूत जाने माने अभिनेता राजपाल यादव के साथ बातचीत की एनएसडी के पूर्व छात्र और निर्देशक दौलत वैद ने। राजपाल यादव प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भी थे, जहाँ छात्र-नेतृत्व वाले ‘अद्वितिय’ में नुक्कड़ नाटक करने वाले भाग लेने वाले समूहों को सम्मानित किया गया।
साहित्यिक खंड, ‘श्रुति’ में, ‘शन्नो खुराना: ओपेरा प्रनेता’ पुस्तक का विमोचन और चर्चा भी आयोजित की गई। यह पुस्तक सुष्मिता झा द्वारा लिखी गई है ।
लेखक के साथ चर्चा के लिए थिएटर समीक्षक दीवान सिंह बजेली ने सत्र का संचालन किया। इस अवसर को और भी विशेष बनाने के लिए प्रसिद्ध गायक और संगीतकार 97 साल की शन्नो खुराना स्वयं उपस्थित थीं।
भारत रंग महोत्सव 2025 का आयोजन देश के विभिन्न शहरों में किया गया। गोवा में चार नाटकों का मंचन हुआ, जबकि बेंगलुरु में आठ, रांची में सात, गोरखपुर में पाँच, खैरागढ़ में छह, काठमांडू में छह, भोपाल में पाँच, कोलंबो में चार, बठिंडा में पाँच, जयपुर में पाँच, अहमदाबाद और अगरतला में पाँच-पाँच नाटकों का मंचन हुआ। दिल्ली इस महोत्सव का केंद्र था। यहां सबसे लंबा और सबसे व्यापक कार्यक्रम आयोजित किया गया। नाटकों के 73 शो हुए। इन नाटकों के अलावा, ‘विश्व जन रंग’ नामक एक प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें पिछले वर्ष के रिकॉर्ड तोड़ने वाले ‘जन भारत रंग’ (जिसमें 1500+ से अधिक प्रविष्टियाँ थीं) से भी अधिक प्रविष्टियाँ प्राप्त हुईं। इस प्रतियोगिता में नाट्य शास्त्र और पंचम वेद की अवधारणाओं पर आधारित नाटकों को आमंत्रित किया गया था। इन नाटकों में समावेशी प्रगति, सतत विकास और वैश्विक सद्भाव के मूल्यों को दर्शाया गया, जो भारत की राष्ट्रीय दृष्टि के अनुरूप हैं। समावेशिता को बढ़ावा देने के लिए, कुछ विशेष नाटकों को भी प्रस्तुत किया गया, जिनमें वंचित समूहों, जैसे कि स्वदेशी समुदाय, LGBTQIA+ समुदाय, बच्चे, वरिष्ठ नागरिक और यौनकर्मी, को शामिल किया गया था। इसके अतिरिक्त, तीन महीने के सर्टिफिकेट कोर्स के छात्रों ने दिल्ली में कई लघु नाटक प्रस्तुत किए। इन सभी प्रदर्शनों, लंबे और छोटे, दूर और विस्तृत, को मिलाकर इस बार 2100 नाटकों का प्रदर्शन हुआ।
उद्घटान समारोह में केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री, गजेंद्र सिंह शेखावत ने एनएसडी लाइब्रेरी पोर्टल लॉन्च किया। https://library.nsd.gov.in/ ताकि अध्ययन सामग्री सभी के लिए वस्तुतः सुलभ हो। ‘रंग अभिलेख’, एक डिजिटल आर्काइव जो प्रसिद्ध और वयोवृद्ध थिएटर निर्देशकों द्वारा निर्देशित 25 प्रतिष्ठित नाटकों को संरक्षित और प्रदर्शित करता है, को भी भारंगम 2025 के भाग के रूप में लॉन्च किया गया। https://brm.nsd.gov.in/raang-abhilekh/repertory-plays.html
भारतीय लोक नृत्यों के लघु और तात्कालिक प्रदर्शनों का एक खंड, एंबिएंस परफॉर्मेंस, एनएसडी परिसर और उसके आसपास के अनौपचारिक स्थानों पर हुआ। देशभर से कुल 39 एंबिएंस परफॉर्मेंस प्रदर्शित किए गए, जिनमें कालबेलिया (राजस्थान), छाऊ (ओडिशा), छोलिया नृत्य (उत्तराखंड), बिहू (असम), कठपुतली नाच (राजस्थान), संबलपुरी नाच (ओडिशा), भांगड़ा (पंजाब) शामिल थे।
छात्र-नेतृत्व वाले ‘अद्वितिय’ में, भारत भर के विभिन्न कॉलेजों और स्वतंत्र समूहों के प्रतिभागियों द्वारा कुल 37 नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किए गए। स्टैंड-अप कॉमेडी, एकल प्रदर्शन, नृत्य और कविता पाठ के 40 खुले मंच प्रदर्शन हुए। एकांकी प्रतियोगिता में कुल 15 टीमों ने भाग लिया, और विजेताओं को प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार के लिए क्रमशः 40,000 रुपये, 20,000 रुपये और 10,000 रुपये की पुरस्कार राशि मिली। ‘अद्वितिया’ में 10 फिल्म स्क्रीनिंग, कई थिएटर हस्तियों के साथ 10 टॉक शो, 7 लोक बैंड प्रदर्शन भी दिखाए गए।
भारंगम के लोकखण्ड ‘लोकरंगम’ में, भारत की सांस्कृतिक विविधता का जश्न मनाने वाले कुल 10 प्रदर्शन दिखाए गए।
जाने माने पत्रकार और लेखक-कवि अरविंद कुमार की रिपोर्ट
Posted Date:February 17, 2025
7:02 pm Tags: एनएसडी, भारंगम समाप्त, भारंगम में 200 नाटक, वी के सक्सेना