इलाहाबाद: उत्तर भारत के रचनाकारों की रचनाधर्मिता को प्रोत्साहित करने के लिए स्थापित की गई यूपी की हिन्दुस्तानी एकेडमी अदब से जुड़े रचनाकारों के लिए अब अच्छे दिन लाने की योजना बना रही है| हिन्दुस्तानी एकेडमी ने ऐलान किया है कि हिन्दी और उर्दू के रचनाकारों को उनके साहित्यिक योगदान के लिए सम्मानित और पुरस्कृत करने की बंद हो चुकी परम्परा अब 18 बरसों के बाद फिर से शुरू की जायेगी| एकेडमी के अध्यक्ष सुनील जोगी ने ‘सात रंग’ से बातचीत के दौरान यह बताया है कि अगले वित्तीय वर्ष से यह परम्परा दोबारा शुरू की जा रही है|
इसके अंतर्गत पहली बार हिन्दी और उर्दू के साथ संस्कृत को भी शामिल किया गया है| इन तीनों भाषाओं के साहित्यकारों को हर साल डेढ़ डेढ़ लाख रूपए की पुरस्कार राशि देने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है। अकेडमी में सम्मान देने की यह परमपरा सन 1928 से शुरू हुई थी जिसमे मुंशी प्रेमचन्द्र ऐसे पहले रचनाकार थे जिन्हें यह सम्मान मिला था| 1998 में आखिरी बार ये पुरस्कार नामवर सिंह को मिला था। उसके बाद से ये परम्परा किन्ही कारणों से बंद हो गई थी।
(दिनेश सिंह की रिपोर्ट)
February 16, 2016
5:05 pm