एक तरफ जहां देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता की बहस छिड़ी है, वहीं अब रंगमंच और सिनेमा से जुड़ी हस्तियों ने सरकार में एक नए तरीके की असहिष्णुता भी खोज निकाली है| हिंदी फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ में अपने दमदार अभिनय की बदौलत अपनी पहचान बनाने वाली अभिनेत्री और थिएटर कलाकार सीमा विश्वास को लगता है कि देश में सहिष्णुता और असहिष्णुता की बहस बेमानी है| उनका कहना है कि देश में लोक रंगमंच के साथ सरकार असहिष्णुता बरत रही है जिसकी वजह से लोक रंगमंच ‘कोमा’ में आ गया है |
इलाहाबाद में एक नाट्य महोत्सव में शामिल होने आई सीमा विश्वास इस बहस में नहीं पड़ना चाहती कि फिल्म अभिनेता आमिर खान मुल्क के माहौल के बारे में क्यों ऐसा बयान दे बैठते हैं| उन्हें कलाकारों से सहानुभूति है लेकिन लोक कलाकारों को लेकर उनकी चिंता कुछ अधिक मुखर है| देश में लोक कलाकारों के साथ जो दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता है उसके लिए वह चिन्तित हैं और इसीलिये उन्हें सरकार लोक रंगमंच को लेकर असहिष्णु नज़र आती है।
सांसद और चम्बल की डकैत फूलन देवी की जि़न्दगी पर बनी शेखर कपूर की बहुचर्चित फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के बाद भी सीमा ने कई फिल्में कीं लेकिन उनकी पहचान आज भी उसी फिल्म से है। सीमा विश्वास ने कहा है कि आमिर के कहने का गलत मतलब निकाला जा रहा है। उन्होंने महज एक झुंझलाहट में ऐसा बयान दिया है। उनकी मंशा कहीं भी मुल्क से बाहर जाने की बात कहने की नहीं थी| सीमा विश्वास ने भी साफ़ किया है कि आमिर खान के बयान को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है| सीमा विश्वास ने कहा है की आमिर खान का बयान एक सिम्बोलिक झुंझलाहट है जो आम आदमी रोजमर्रा की जिन्दगी की परेशानियों से ऊब कर कह देता है। इलाहाबाद में तीन दिवसीय युवा रंग महोत्सव में रवींद्र नाथ टैगोर के एक नाटक में अभिनय करने पहुंची सीमा विश्वास ने यह भी कहा कि मीडिया ऐसी बातों को तूल दे रहा है| उन्होंने कहा कि फिल्म इंडस्ट्री में बहुत सी अच्छी बातें भी हो रही हैं जिन्हें मीडिया को सामने लाना चाहिए| उन्होंने कहा कि आने वाले समय में हिन्दी सिनेमा का रुझान समस्या प्रधान फिल्मों की तरफ अधिक रहेगा| वीमेन ट्रैफिकिंग और ग्लोबल थ्रेट ऐसे ही सब्जेक्ट हैं जिनपर कई फिल्में बन रही हैं। इनमें से कई फिल्मों में वह खुद भी अभिनय कर रही हैं |
(इलाहाबाद से दिनेश सिंह की रिपोर्ट)
November 19, 2015
3:55 pm