बौद्ध धर्म के शीर्ष धर्मगुरु 17वें करमापा उज्ञेन त्रिनले दोरजी बुधवार को बोधगया बिनाले में पहुंचे और उन्होंने वहां प्रदर्शित कलाकृतियों को जमकर सराहा। करमापा ने बिनाले के आर्टिस्टिक डायरेक्टर विनय कुमार से बातचीत में कहा कि पूरी दुनिया में शांति स्थापित करने में कला का काफी महत्व हो सकता है और इस तरह की प्रदर्शनियों वैश्विक शांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। करमापा ने प्रदर्शित कलाकृतियों को काफी बारीकी से देखा।
आज बिनाले में आयोजित टॉक शो में बुधवार को सांस्कृतिक बहुलता और बिनाले विषय पर देश के जाने-माने सांस्कृतिक पत्रकार और कला लेखक रवींद्र त्रिपाठी और आर्टिस्टिक डायरेक्टर विनय कुमार ने अपने विचार रखे। रवींद्र त्रिपाठी के मुताबिक सांस्कृतिक बहुलता बीसवीं सदी में जन्मी एक वैचारिक अवधारणा है जो सर्वधर्म समभाव की भावना पर आधारित है। इतना ही नहीं, कला की दुनिया में सांस्कृतिक बहुलता का अर्थ कला सृजन में उसके विषयों और भावों का व्यापक होना है। कला आयोजकों के लिए इस दृष्टिकोण को रखना आवश्यक है कि हर तरह की कला को अपने आयोजन में जगह देI
बोधगया बिनाले के आर्टिस्टिक डायरेक्टर विनय कुमार ने कहा कि बिनाले जैसे आयोजन में सांस्कृतिक बहुलता जैसे विषयों को शामिल करना इसलिए भी मौजूं है क्योंकि इस समय पूरी दुनिया में शांति की आवश्यकता है और कला के जरिये वैश्विक शांति के लिए बोधगया से ही पहला संदेश जाये इससे बेहतर क्या होगा।
बिनाले में बुधवार का दिन स्कूली बच्चों के नाम भी रहा। सूर्या भारती स्कूल और सिद्धार्थ कंपैशन स्कूल के बच्चों ने कलाकृतियों को देखा। आधुनिक कलाकृतियों के प्रति उनकी उत्सुकता देखते ही बनी। इतना ही नहीं स्कूली बच्चों ने बिनाले के वीडियो लाउंज में वीडियो आर्ट वर्क को भी देखा। इन बच्चों ने बिनाले के मंच पर अपनी नृत्य कला एवं गायिकी का प्रदर्शन भी किया।इस मंच से बुधवार को इंद्रमणी स्कूल के दिव्यांगों की भी जगह दी गयी। दिव्यांग अक्षक कुमार ने अपनी लिखे गाने को वहां मौजूद कला प्रेमियों के समक्ष प्रस्तुत किया, जबकि मूल रूप से हरियाणा निवासी हेमलता ने हरियाणवी में लोकगीत सुनाये।
Posted Date:December 21, 2016
10:26 pm