दुष्यंत की याद में सालाना जलसा और अलंकरण समारोह ===========================
हर साल की तरह भोपाल के लिए एक सितंबर का दिन यादगार रहा । दुष्यंत कुमार संग्रहालय पांडुलिपि संस्थान ने अपने सालाना जलसे में चुनिंदा रचनाकारों का सम्मान किया और ये सूरत बदलनी चाहिए श्रृंखला के तहत जाने माने पत्रकार राजेश बादल को व्याख्यान के लिए बुलाया। उनकी राय थी कि आज मीडिया पिछले चालीस साल में पहली बार इतने गंभीर दौर से गुज़र रहा है। उस पर चौतरफ़ा दबाव है । सामाजिक,आर्थिक, व्यवस्थाजन्य और सरोकारों संस्कारों का दबाव है। समाज के सभी तबकों के सहयोग के बगैर इसका मुकाबला नहीं किया जा सकता।
राजेश बादल ने अपने फेसबुक वॉल पर इस समारोह और यहां मौजूद लोगों के साथ चर्चा में आए विषयों का ज़िक्र किया है। राजेश जी ने अपने वॉल पर आगे कुछ यूं लिखा है –
‘ संग्रहालय के सूत्रधार राजूरकर राज और समस्त सहयोगियों अशोक जी, ममता जी, संगीता जी , संजय जी और अन्य साथियों ने इसे एक बेहतरीन दोपहर में तब्दील कर दिया। लेकिन सबसे ख़ास उपस्थिति देश के जाने माने रंगकर्मी, प्रख्यात फ़िल्म अभिनेता, मेरे पुराने मित्र और भोपाल की मिट्टी की महक राजीव वर्मा तथा दुष्यंत कुमार के बेटे और शानदार रचनाकार आलोक त्यागी तथा उनकी पत्नी श्रीमती ममता त्यागी की रही। ममताजी दुष्यंत के अभिन्न मित्र रहे जाने माने लेखक संपादक कमलेश्वर की बेटी हैं।
राजीव वर्मा जी ने अपने रंगकर्म अनुभवों से दो चार किया और इसे जीवन जीने का बेजोड़ कौशल बताया । उन्होंने जाने माने रंगकर्मी बाबा कारंथ तथा हबीब तनवीर को याद किया । इन दोनों महान विभूतियों की जन्मतिथि भी एक सितंबर ही है । सम्मान समारोह में अलंकृत होने वाली विभूतियों ने भी अपने विचार प्रकट किए । इनमें मेरे भाई जैसे प्रोफेसर पुष्पेन्द्र पाल सिंह भी थे,जिन्हें राजेंद्र जोशी सम्मान से अलंकृत किया गया । इसके अलावा बद्र वास्ती तथा हेमन्त देवलीकर को अंजन तिवारी सम्मान से अलंकृत किया गया ।इसके अलावा समारोह में युगेश शर्मा को कमलेश्वर सम्मान विनीता राहुरीकर को कन्हैयालाल नन्दन सम्मान, सोमेन्द्र यादव को अखिलेश जैन सम्मान, पवार राजस्थानी को बालकवि बैरागी सम्मान, रामवल्लभआचार्य को बाबूराव गुजरे सम्मान, डॉ भैरूंलाल गर्ग को विजय शिरढोणकर सम्मान, प्रतिभा गोटीवाले को सुषमा तिवारी सम्मान, विमल भंडारी को अंशलाल पन्द्रे सम्मान,अशोक व्यग्र को ब्रजभूषण शर्मा सम्मान और चरण जीत सिंह कुकरेजा को विट्ठलभाई पटेल सम्मान प्रदान किया गया। संग्रहालय परिसर में पौध रोपण भी हुआ और बाहर दुष्यंत फलक का अनावरण भी हुआ । पुराने संग्रहालय में भी यह परंपरा थी।
अंत में बता दूं कि दुष्यंत की वास्तविक जन्मतिथि 27 सितंबर है। मगर परंपरा एक सितंबर को ही मनाने की चली आ रही है।’
September 2, 2019
11:09 pm Tags: Dushyant Kumar, Rajesh Badal