दलित छात्र की खुदकुशी के बाद दलित विमर्श का ‘कफ़न’

इलाहाबाद: देश के एक कोने में जहां एक दलित छात्र की खुदकुशी पर सियासी विमर्श का ज्वारभाटा अपने चरम पर है वहीं शहर में एक शाम दलितों के दर्द को बयान करने वाली प्रेमचंद की अमर रचना ‘कफन’ के नौटंकी शैली में मंचन के नाम रही| इलाहाबाद के उत्तर मध्य सांस्कृतिक केंद्र का जो ऑडिटोरियम बड़ी हस्तियों की मौजूदगी में भी भर नहीं पाता वह ‘कफ़न’ की प्रस्तुति के दौरान खचाखच भरा था| कफ़न के नौटंकी संस्करण को देखने उमड़ी इस भीड़ की मौजूदगी यह बताती है की घीसू और माधव का दर्द आज भी हमारे किसान के सीने में दर्ज है |
x2

स्वर्ग रंगमण्डल की इस प्रस्तुति ने मौजूदा हरित क्रान्ति के कृषक समाज में किसानों के शोषण से लेकर साहूकारी प्रथा के बीच के अंतर्द्वंद को उसी साफ़गोई से सामने रख दिया जिस साफ़गोई से प्रेमचंद खुद अपनी बात कहते थे| कहानी को और अधिक जानदार बनाने में सूत्रधार के रूप में शामिल किये गए दो विदूषक भी पूरी ईमानदारी के साथ अपनी बात कहने में कामयाब रहे।
x4
प्रस्तुति में कलाविद अतुल यदुवंशी का नपा तुला निर्देशन इसे लगातार दर्शकों के दिल से जोड़ने में सफ़ल रहा जिसकी गवाह थी वहां मौजूद कलाप्रेमियों की वह भीड़ जिसके लिए हाल में कुर्सियां भी कम पड़ गईं| वैसे कला समीक्षक कफ़न की इस सफल प्रस्तुति के पीछे इसका बड़ा कारण एक लोकविधा नौटंकी के रूप में इसका मंचन भी मानते हैं जिसमें लोगों को अपने से जोड़ने की शायद सबसे ज्यादा क्षमता मानी गई है|
x5
एक साथ समाज में सन्त्रास और शोषण का आईना दिखाकर अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई कफ़न की यह लोक प्रस्तुति को रोहित वेमुला की खुदकुशी से जोड़कर सामयिक बनाया गया और इससे दलितों से जुड़े कई सवालों पर चर्चा का नया आयाम भी खुला|
(इलाहाबाद से दिनेश सिंह की रिपोर्ट)

Posted Date:

February 6, 2016

4:15 pm
Copyright 2024 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis