केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय की पहल पर देश भर की प्रतिभाओं के डाटा बैंक बनाने के मकसद से अलग अलग क्षेत्रों में भव्य कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसी कड़ी में झारखंड के रायकेला में राजकीय छऊ कला केन्द्र में हाल ही में सांस्कृतिक प्रतिभा खोज कार्यक्रम हुआ। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने इस मौके पर कहा कि हमारी सबसे बड़ी पूंजी गावों में फैली और रची बसी यहां की परंपराएं और संस्कृति है। इस लोक संस्कृति की बदौलत दुनियाभर में हमारी पहचान है। इस धरोहर को बचाने ओर समृद्ध करने की दिशा में हम सबको आगे आना चाहिए।
तकरीबन एक हजार कलाकारों ने इस मौके पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया और लोक नृत्य के साथ साथ अपनी लोक कला से समां बांध दिया। संस्कृति मंत्रालय की तरफ से खास तौर से यहां आए अखिल भारतीय लोक और आदिवासी कला परिषद के अध्यक्ष निर्मल वैद ने कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि अब कला और कलाकार उपेक्षित नहीं रहेंगे। दूर दराज के कलाकारों को नई पहचान दिलाने, उन्हें नए नए मंच देने और उनकी कला को एक उचित मुकाम तक पहुंचाने की कारगर कोशिश शुरू हो चुकी है।
तमाम विशिष्ट मेहमानों की मौजूदगी में यहां कलाकारों ने सरायकेला-खरसावां जिले के प्रचलित तीन लोक शैलियों में नृत्य पेश किए। शुरूआत सरायकेला शैला के छऊ कलाकारों ने राधाकृष्ण नृत्य से किया, फिर खरसावा शैली के शिकारी नृत्य, मानभूम शैली के कलाकारों ने महिषासुर वध नृत्य पेश किया। साथ ही नटुवा शैली के कलाकारों ने भी अपनी प्रस्तुति दी।
Posted Date:
July 4, 2017
6:51 pm