• प्रदीप सिन्हा
दीवार पर उकेरे गए सात रंग और हर एक रंग की अलग कहानी। रचनात्मकता का मिश्रण और अभिव्यक्ति की आज़ादी, ये कुछ तस्वीरें अपने आप में बहुत कुछ बयां कर जाती हैं। राजधानी दिल्ली की चकाचौंध और भागदौड़ के बीच एक छोटा सा इलाका है शाहपुर जट, कहनेवाले तो इसे गांव भी कहते हैं लेकिन इन छोटी छोटी इमारतों और पतली गलियों में गांव जैसा कुछ रह नहीं गया है। पूरा इलाका तो अब मार्केट में तब्दील हो चुका है जहां छोटे मोटे कई सारे बुटिक्स और कैफे हैं। लेकिन इस इलाके में एक कला आज भी ज़िंदा है जो यहां आनेवाले लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच ही लेती है।
स्ट्रीट आर्ट…सफेद, पीली इन मकानों की दीवारों पर रंगों के जरिए इन घरों में रहनेवालों की ज़िंदगी में रंग घोलने की कोशिश है। शुरुआत में ये सिर्फ एक कोशिश थी जिसे यहां के लोगों का साथ तक नहीं मिला लेकिन धीरे धीरे लोगों ने ज़िंदगी के कलात्मक पहलु को समझा। कुछ कलाकारों की संयुक्त कोशिश ने इसे एक आंदोलन का रुप दे दिया और कला के कद्रदान इससे जुड़ते चले गए। गली मोहल्ले की कोनों में ईंटों पर उकेरे गए इन तस्वीरों ने इस इलाके की तस्वीर को भी काफी हद तक बदलकर रख दिया है…ये कला का जादू है। जिस बस्ती को यहां के बाशिंदों ने बेजान कर दिया था, उसे इन रंगों ने ज़िंदा कर दिया है।
अलग अलग तस्वीरें, अलग अलग सोच, ये सिर्फ पेंटिंग नहीं ये हमें ज़िंदगी को देखने का नज़रिया समझाते हैं…ये हमें बताते हैं कि ज़िंदगी सिर्फ कमाना, खाना, और दीवारों के बीच सांस लेने का ही नाम नहीं हैं। ये हर एक पल को जीने का नाम है, इन रंगों के बीच। यहां हर कलाकार के लिए कुछ ना कुछ ज़रुर है। आप भले ही किसी भी राज्य से आए हों, किसी भी धर्म या जाति के हों लेकिन स्ट्रीट आर्ट की इस दुनिया में इन कलात्मक तस्वीरें से आप कहीं ना कहीं खुद का जुड़ाव जरुर महसूस करेंगे। शुरुआत में कुछ ऐसा ही यहां के लोगों के साथ था, जब उन्हें दीवारों पर इन तस्वीरों का होना, उनकी दीवारें गंदा होना जैसा लगता था। लेकिन धीरे धीरे उन्होंने भी इन बेजान तस्वीरों में ज़िंदगी के खूबसूरत रंगों से खुद को जोड़ना सीख लिया।
और आज आलम ये है कि यहां के हर मकान, हर घर की पहचान उस तस्वीर से होती है। अपनी सोच, अपना ख्याल और इनके माध्यम से समाज को संदेश, इसका इससे बेहतर और खूबसूरत माध्यम और क्या होगा। आज तो शाहपुर जाट की इन गलियों में walking tour तक का आयोजन होता है जिसमें पर्यटक और स्थानीय लोगों को यहां की हर तस्वीर के पीछे की कला और सोच को क़रीब से जानने का मौका मिलता है। अगर आप दिल्ली के शोरगुल और भागदौड़ से थोड़ी देर के लिए आराम चाहते हैं, तो चले आइए शाहपुर जट की इन गलियों में जहां सात रंगों में उकेरी गई इन तस्वीरों में आप ज़िंदगी और कला के बीच के नाते को समझ पाएंगे।
Posted Date:November 29, 2016
6:35 am