जन्मदिन पर खास
• अतुल सिन्हा
मुंबई के खूबसूरत बैंड स्टैंड और लैंड्स एंड के एक तरफ समंदर की ऊंची ऊंची लहरें दिखती हैं तो सड़क की दूसरी तरफ फिल्मी सितारों के बंगले। लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ आपको नज़र आएगी शाहरूख खान के बंगले मन्नत के सामने। यहां से चंद कदम दूर हरदिल अज़ीज़, बेहद खूबसूरत और अपनी आंखों से बहुत कुछ कह देने वाली रेखा का ‘बसेरा’ है। रेखा जी की ही तरह खूबसूरत और उनकी ज़िंदगी की ही तरह एकदम एकांत सा है उनका बसेरा। यहां न तो मन्नत जैसी भीड़ है, न उनके दरवाज़े पर फोटो खिंचवाने में किसी की दिलचस्पी। उनके जन्मदिन को लेकर कोई खास हलचल कहीं नहीं दिखती, सिवाय कुछ टीवी चैनलों पर उनके गाने, फिल्मी सीन्स और उनपर कभी कभार कोई कार्यक्रम दिखाने के अलावा जल्दी आपको कुछ भी नज़र नहीं आता। रेखा जी इंटरव्यू देती नहीं, मीडिया से खुद को दूर रखती हैं, गाहे बगाहे किसी जलसे में अगर गईं भी तो उनका अतीत उनका पीछा नहीं छोड़ता। कभी कभार किसी शो में अगर दिखीं भी तो अपने दायरे में सिमटी नज़र आईं। एकाध टीवी शो में बेशक उन्हें थोड़ा बहुत हंसी मज़ाक करते देखा गया लेकिन ज्यादातर वो लोगों के बीच आने से बचती हैं। इसी बसेरा में उनका वक्त कटता है। कभी कभार कोई फिल्म करती हैं, लेकिन ज्यादा वक्त अपने अतीत के पन्ने पलटने में बिताती हैं। 4 साल से राज्यसभा की सदस्य हैं, लेकिन दिखती कभी कभार हैं, सबसे कम आने वालों में हैं और खामोशी से बस खबर बना देने वालों में हैं।
62 साल की यह बेहद खूबसूरत अदाकारा जब भी परदे पर आती हैं, किसी न किसी नए अवतार में और पहले से और ग्लैमरस दिखती हैं। उनकी निजी जिंदगी के उतार चढ़ावों की तरह उनके करियर ने भी कई करवट बदले। लेकिन आखिर रेखा में ऐसा क्या है जो आज की अभिनेत्रियों में नहीं? आखिर रेखा की जिस खूबसूरती की बात बरसों से की जाती है और पूरी दुनिया जिसकी दीवानी है, उस खूबसूरती का राज़ क्या है? क्या ये खूबसूरती उन्हें बचपन से मिली कुदरती खूबसूरती है या वक्त के साथ उन्होंने खुद को इतना खूबसूरत बना लिया है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको रेखा की एकदम शुरूआती दौर की फिल्में देखनी होंगी या उस दौर की रेखा को याद करना होगा जब उन्होंने इंडस्ट्री में कदम रखा था।
जाने माने तमिल अभिनेता जेमिनी गणेशन और तेलुगु अभिनेत्री पुष्पावली की बेटी रेखा जब 10 अक्टूबर 1954 को चेन्नई में जन्मीं तो उनका नाम था भानूरेखा गणेशन। रेखा के माता और पिता के निजी ज़िंदगी में न जाते हुए हम उस रेखा की बात करते हैं जिनकी पहचान एक बेहतरीन और संजीदा अभिनेत्री की बनना शुरू हुई 1975 के बाद से। विरासत में मिली उनकी अभिनय प्रतिभा को निखारने में हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री ने ही सबसे ज्यादा मदद की और वो एक ‘ग्लैमर गर्ल’ के तौर पर फिल्म ‘सावन भादो’ के बाद से स्थापित हो गईं। 12 साल की उम्र में एक बाल कलाकार के तौर पर सबसे पहले उन्होंने तेलुगु फिल्म ‘रंगूला रत्नम’ में काम किया और कुछ साल तक तमिल, कन्नड़ और तेलुगू फिल्मों में छोटी मोटी भूमिकाएं करती रहीं।
तब रेखा न तो दर्शकों को बहुत खूबसूरत लगती थीं और न ही उन्हें कोई ऐसा निर्देशक मिला जिसने उनकी खूबसूरती और प्रतिभा को निखारकर एक नया रूप देने की कोशिश की। बस ये था कि सुनहरे पर्दे पर अपनी पहचान बनाने के लिए एक ‘ग्लैमर गर्ल’ के तौर पर रेखा ने कई चलताऊ किस्म की फिल्में कीं। लेकिन 1976 में पहली बार उन्हें पहला गंभीर रोल मिला अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘दो अनजाने’ में। इससे पहले तक एक ग्लैमरस अभिनेत्री के तौर पर रेखा ने कुछ सफ़ल फिल्में की थीं – रामपुर का लक्ष्मण, प्राण जाए पर वचन न जाए, कहानी किस्मत की और सावन भादो। एक सफल और प्रतिभावान अभिनेत्री के तौर पर उनकी पहचान बन चुकी थी। साथ ही बोल्ड एंड ब्यूटीफुल वाली इमेज भी रेखा न बनानी शुरू कर दी थी। उनके रोमांस के किस्से भी चर्चा में आने लगे थे – कभी जितेन्द्र के साथ, तो कभी विनोद मेहरा के साथ, कभी किरण कुमार के साथ… लेकिन सबसे ज्यादा हिट किस्सा सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ। निजी ज़िंदगी में एकदम अकेली सी रेखा के लिए शादीशुदा जिंदगी का कभी कोई खास मायना नहीं रह पाया। 1990 में दिल्ली के एक उद्योगपति मुकेश अग्रवाल से उनकी शादी हुई भी और अगले ही साल मुकेश की खुदकुशी से रेखा विवादों में भी आईं लेकिन उनके लिए उनका करियर, उनके कुछ बेहद निजी रिश्ते और संवेदनाओं का अपना अलग संसार ही सबकुछ था।
रेखा की फिल्मों के बारे में सब जानते हैं। ‘दो अनजाने’ के बाद उनकी मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवरलाल, खूबसूरत, उमराव जान, घर, खून भरी मांग जैसी कितनी फिल्में आईं जिसने रेखा को सचमुच रेखा बना दिया। उनकी खूबसूरती दिन ब दिन निखरती गई, उनकी आंखों की मस्ती दिन ब दिन लोगों को दीवाना बनाती गई और आखिरकार रेखा आज भी खूबसूरती की एक ऐसी मिसाल हैं जिसका लोहा नए दौर की खूबसूरत अभिनेत्रियां भी मानती हैं। बेशक रेखा 62 साल की हो गई हों लेकिन जब भी आप उन्हें देखेंगे एक नई ताज़गी के एहसास से भर जाएंगे। उनकी ज़िंदगी के कई अनछुए पहलू आपको उनकी बायोग्राफी –‘रेखा – एन अनटोल्ड स्टोरी’ में मिल सकते हैं, लेकिन रेखा एक ऐसी कहानी हैं जिन्हें उनके सिवा कोई और जान भी नहीं सकता। बहरहाल उनके चाहने वालों के लिए ये ज्यादा जरूरी है कि वो फिर परदे पर नए लेकिन चुनिंदा किरदारों में आती रहें.. इंतज़ार कीजिए।
October 10, 2016
7:32 am