त्रिलोचन की रचनाओं ने हिन्दी साहित्य को जो आयाम दिए और उनकी शैली ने जिस तरह कविता की नई परिभाषा लिखी, उससे आज के रचनाकार बहुत कुछ सीख सकते हैं। मशहूर कवि केदारनाथ सिंह ने त्रिलोचन की जन्म शताब्दी के मौके पर साहित्य अकादमी की ओर से आजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि त्रिलोचन की कविताएं हमेशा प्रासंगिक रहेंगी। त्रिलोचन ज़मीन से जुड़े एक ऐसे रचनाकार थे जिन्हें संस्कृति और समाज के तमाम पहलुओं की बारीक समझ तो थी ही, आम आदमी के संघर्ष को भी उनकी रचनाओं में उतनी ही आसानी से पढ़ा जा सकता है।
21 और 22 अगस्त को साहित्य अकादमी सभागार में हो रही इस संगोष्ठी में त्रिलोचन के व्यक्तित्व और कविता के तमाम पहलुओं पर चार सत्रों में चर्चा हो रही है। उनकी कविताओं के सौंदर्यशास्त्र पर चर्चा करने वालों में अष्टभुजा शुक्ला, तरुण कुमार और गोविन्द प्रसाद के अलावा राजेन्द्र कुमार जैसे साहित्यकार हैं, वहीं त्रिलोचन के गद्य लेखन पर पर हिन्दी संस्थान के निदेशक नंद किशोर पांडेय की अध्यक्षता में कौशलनाथ उपाध्याय, करुणा शंकर उपाध्याय और आनंद प्रकाश त्रिपाठी अपनी राय रखेंगे। त्रिलोचन के साथ अपने अनुभवों को साझा करेंगे राम कुमार कृषक, अमित प्रकाश सिंह और श्याम सुशील और अध्यक्षता करेंगे मशहूर आलोचक कमल नयन पांडेय। अंतिम सत्र में त्रिलोचन के साहित्यिक योगदान पर चर्चा होगी। इसकी अध्यक्षता जानेमाने आलोचक विश्वनाथ त्रिपाठी करेंगे। साथ ही अनामिका और ओम निश्चल अपने अपने आलेख प्रस्तुत करेंगे।
Posted Date:August 21, 2017
8:07 pm Tags: trilochan, Sahitya Akademy