बुंदेलखंड की एक से एक शानदार धरोहरें यहां की आन-बान और शान को बयान करती हैं। आज यह इलाका सूखा और कृषि संकट से तबाह है। तो भी यहां की प्राकृतिक संपदा से लखनऊ और भोपाल का खजाना भर रहा है। यहां कदम कदम पर बिखरी धरोहरें ध्वस्त हो रही हैं। उनको हम दोबारा बना तो नहीं सकते। लेकिन इनको सहेजना कठिन नहीं है। थोड़ा धन व्यय होगा तो इसका फायदा भी दिखेगा।
छतरपुर में गढ़ी मलेहरा –
(वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह देश के तमाम इलाकों को लगातार करीब से देखते रहे हैं। अपने अनुभव और नज़रिये को वो समय समय पर सोशल मीडिया के ज़रिये लोगों के सामने लाते रहते हैं।)
Posted Date:November 29, 2016
3:09 am