आखिर क्यों खेमे में बंटने को मजबूर होते हैं कलाकार

हम लाख कहें कि कलाकारों, संस्कृतिकर्मियों, साहित्यकारों और पत्रकारों को सियासी खेमेबाज़ी से दूर रहना चाहिए लेकिन जब देश की बात आती है, लोकतंत्र बचाने की बात आती है और अपने देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को बचाने की बात आती है तो यह बुद्धिजीवी और कलाकार तबका भी खेमे में बंटा नज़र आता है। चाहे वह अवार्ड वापसी के दौरान का मामला हो, कुछ पत्रकारों-साहित्यकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं की हत्या के बाद उठे जनाक्रोश का मामला हो या अब चुनाव के वक्त वोट देने की अपील को लेकर कलाकारों की खेमेबाजी का मामला हो। चुनाव के वक्त ये होड़ लग गई है कि कितने कलाकार किसके साथ। लंबी लंबी फेहरिस्त जारी हो रही है। पहले आर्टिस्ट युनाइट इंडिया नाम की वेबसाइट ने 700 कलाकारों के हस्ताक्षर वाली अपील जारी की जिसमें बीजेपी और सहयोगियों को सत्ता से हटाने की अपील की गई। हालांकि इस सूची में करीब डेढ़ सौ और नाम जुड़ गए हैं और संख्या बढ़ने का सिलसिला जारी है। अब इसके जवाब में बीजेपी के समर्थन में नेशन फर्स्ट कलेक्टिव नाम की संस्था ने 907 कलाकारों के हस्ताक्षर वाली अपील जारी की जिसमें मौजूदा सरकार को दोबारा सत्ता में लाने की अपील की गई है।

कलाकारों की यह खेमेबाजी और वैचारिक मतभेद जानने समझने के लिए ज़रूरी है कि दोनों ही सूचियां आपके सामने हों। यह समझना भी ज़रूरी होना चाहिए कि कलाकारों को आखिर ऐसी अपीलों पर दस्तखत करवाने के लिए पहल कौन और कैसे करता है। क्योंकि हस्ताक्षर करने वाले कलाकारों में से कई तो ऐसे हैं जिन्हें किसी सरकार से न तो कभी कोई परहेज़ रहा है और न ही ये कलाकार उसके हिमायती रहे हैं। दरअसल ज्यादातर कलाकारों की मूल चिंता हमेशा से यही रहती आई है कि उनकी कला को या उनके व्यक्तित्व को सरकार पूरा सम्मान दे, उन्हें उपेक्षित न किया जाए, उन्हें उपयुक्त मंच मिले, सरकार कला और कलाकारों को प्रोत्साहित करे, आर्थिक सुरक्षा दे और उनके हुनर को आगे बढ़ाने का, फलने फूलने का मौका दे। लेकिन सियासत के खेल से जाने अनजाने ये कलाकार भी अछूते नहीं रह पाते।

साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं को लेकर सत्ता का गणित हमेशा से चलता रहा है। हर संस्था पर अपने खास लोग बैठाने की कवायद भी चलती रही है – चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के नाम पर या देश की सांस्कृतिक विरासत बचाने के नाम पर ये वैचारिक जंग संस्कृति को प्रभावित करती रही है। इस बार भी यही हो रहा है। 7 रंग आपके लिए वो दोनों लिस्ट छाप रहा है जो आप इन संस्थाओं की वेबसाइट पर भी पा सकते हैं और अन्य मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी। आप लिस्ट पढ़ें, इनमें से कई नामों को आप अच्छी तरह जानते होंगे, उन्हें देखा-सुना होगा। इसके लिए नीचे दिए लिंक को क्लिक करें।

Posted Date:

April 10, 2019

4:39 pm
Copyright 2024 @ Vaidehi Media- All rights reserved. Managed by iPistis