बदलते वक्त और विकास की अंधी दौड़ के साथ तमाम शहर बदल गए। हमारे गाज़ियाबाद की शक्ल-ओ-सूरत भी बदल गई। संस्कार से लेकर संस्कृति तक और विरासत से लेकर राजनीति तक.. आज़ादी के बाद से अबतक कैसे कैसे बदला ये शहर, क्या है इसकी कहानी, कैसी थी इसकी रवायत… हमारे शहर के ऐसे तमाम बुजुर्ग इस बदलाव के गवाह हैं, जिन्होंने गाजियाबाद को पल पल महसूस किया और जिया। ‘अमर उजाला’ ऐसे तमाम आदरणीय बुजुर्गों की यादों के झरोखों में झांकने की कोशिश कर रहा है जिन्होंने इस पूरे दौर को देखा है। इन बुजुर्गों के अनुभवों को अमर उजाला में हर रविवार पढ़ सकते हैं… सिर्फ गाजियाबाद संस्करण में..
कुछ मिसालें 7 रंग पर…..
Posted Date:August 11, 2018
11:07 pm