पत्रकार नहीं, आजादी के दीवाने हैं !
श्रमजीवी पत्रकारों के लिए करीब पांच दशकों से भी ज्यादा से संघर्ष करने वाले जुझारू और जाने माने पत्रकार के. विक्रमराव बेशक अस्सी पार कर चुके हों लेकिन बगैर लिखे और समसामयिक घटनाओं पर अपना विश्लेषण किए उनका कोई भी दिन नहीं बीतता। देश औऱ दुनिया के तमाम ज्वलंत मु्द्दों और सवालों पर राव साहब लगातार लिखते हैं और अब भी बेहद सक्रिय हैं। इस आलेख में पढ़िए सत्ता से लगातार संघर्ष करने वाले उन दो पत्रकारों के बारे में  जिन्हें अपने लिखने पढ़ने और जनपक्षधरता के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी, यहां तक कि उनमें से एक को अपनी जान भी गंवानी पड़ी।
— के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार
 
यह शौर्य गाथा है उन दो संघर्षरत पत्रकारों की जो सत्ता से भिड़े। यातना भुगती। एक ऑस्ट्रेलियाई महिला आर्थिक टीवी एंकर हैं। नाम है चेंग ली। अभी बीजिंग (चीन) की जेल में कैद हैं। दूसरे हैं लातिन अमेरिकी (इक्वेडोर) गणराज्य के संपादक फर्नांडो विलाविंशियों। उन्हें गांजा तस्करों ने मार डाला। वे राष्ट्रपति के चुनाव के प्रत्याशी थे और एक चुनावी सभा को राजधानी क्यूटो में गत सोमवार (11 अगस्त 2023) को संबोधित कर रहे थे। आतंकियों ने उन्हें भून दिया। खोपड़ी से नौ गोलियां पोस्टमार्टम में निकाली गईं। राष्ट्रपति बन जाने पर फर्नांडो ने पड़ोसी कोलंबिया के गांजा गैंग को खत्म करने की सौगंध ली थी। एक चुनावी अनुमान के अनुसार वे सभी आठ प्रत्याशियों में अव्वल थे। इन दोनों पत्रकारों के लिए ब्रसेल्स-स्थित इंटर्नेशनल फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्टस (IFJ) तथा “कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्टस” (CPJ, न्यूयॉर्क) नामक मीडियाकर्मी संगठनों ने अपराधियों के दंड की मांग की है।
     तो बात करें पहले उस महिला पत्रकार की जिसे माओवादी कम्युनिस्ट चीन की तानाशाही हुकूमत ने तीन वर्षों से एक तन्हा कोठरी में नजरबंद कर रखा है। इस 48-वर्षीया टीवी एंकर पर शी जिंगपिंग की सरकार का आरोप है कि वे जासूसी करती हैं। उनके ऑस्ट्रेलियन साथी व्यापारी निक कोइले ने इसे उत्पीड़न बताया। इस भाषाविद, गूंजती आवाजवाली लावण्यमयी एंकर के बचाव में ऑस्ट्रेलिया के सोशलिस्ट प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने चीन सरकार को सचेत किया है कि यदि उसे बिना शर्त रिहा नहीं किया गया तो उनकी प्रस्तावित चीन यात्रा निरस्त हो सकती है। इन्हीं अल्बानीज़ ने (22 मई 2023) ऑस्ट्रेलिया यात्रा पर नरेंद्र मोदी का विशाल तथा भव्य स्वागत आयोजित कराया था। इस द्विपक्षीय कूटनीतिक संपर्क से चीन को ऑस्ट्रेलिया का विशाल ग्राहक बाजार मिलेगा। चीन का निर्यात बढ़ेगा। कम्युनिस्ट चीन को आर्थिक लालच तो है। अतः समाधान का विकल्प खोजा जा रहा है।
     हूनान प्रांत के यूयांग में जन्मी चीनी मूल की चेंग वाणिज्य की स्नातक हैं। लेखाकार्य में निष्णात वे सीएनबीसी चैनल में कार्यरत थीं। हाल ही में चेंग ने अपने तीन वर्ष के कारागार वास के अनुभवों को साझा किया। वे बोलीं : “मेरे दोनों बच्चों की बड़ी याद आती है। अब वे 12 तथा 14 वर्ष के हो गए हैं। तीन साल से देखा नहीं।” चेंग ने कहा कि उनकी तन्हा कोठरी से साल भर में केवल दस घंटे ही सूर्य के दर्शन हुए।” अर्थात केवल तीस घंटे इन तीन वर्षों में ! बाकी समय बिजली के बल्ब को निहारती रहती हैं। वे बोलीं : “मैं अपनी रजाई को चिपका लेती हूं, महसूस करने के लिए कि परिवार की साथ हूं।” उन्हें ऑस्ट्रेलिया के वनजीव से बड़ा लगाव है। अब वे भी दूर हो गए। “समुद्री नमकीन पानी की लहरों की गूंज अभी भी प्रतीत होती है।” फिलहाल उन्हें ऑस्ट्रेलिया जाने की उत्कट इच्छा है। चीन के कैनबरा में राजदूत जियाओ क्वीन ने कहा वे प्रयास कर रहे हैं कि चेंग ऑस्ट्रेलिया लौट आयें। ऑस्ट्रेलिया की सोशलिस्ट सरकार का दावा है कि वाणी स्वतंत्र एक मौलिक अधिकार है। चीन की सरकार ने इसकी अवहेलना कर “हमारे नागरिक पत्रकार चेंग को अवैध तरीके से कैद कर रखा है।” ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री श्रीमती पेनलोप यिंग-येन वांग भी चीन मूल की ही हैं। वे स्वयं विधिवेत्ता हैं। उनका कथन है कि चेंग की कैद गैरकानूनी है। यह पछ्पन-वर्षीया सोशलिस्ट नेता चीन को सावधान कर चुकी हैं कि दोनों राष्ट्रों के व्यापारी रिश्ते टूट गए तो चीन को ही अपार हानि होगी। अतः चेंग को रिहा कर, मैत्री कायम कर दें।
     उधर इक्वेडोर गणराज्य में वरिष्ठ तथा लोकप्रिय पत्रकार 58-वर्षीय फर्नांडो की सरे बाजार में हत्या से लातिन अमेरिका के इन देशों में आक्रोश व्यापा है। यूं राष्ट्रपति गुलिर्मो लासो ने ऐलान किया है कि गांजा तस्कर बच नहीं पाएंगे। जनाक्रोश राष्ट्रव्यापी है। फर्नांडो न केवल योग्य और जाने-माने लेखक थे वरन श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के पुरोधा भी थे। गत दशक वे इक्वेडोर में मादक पदार्थ की तस्करी के खिलाफ अभियान चला रहे थे। उनका मशहूर दैनिक “एल यूनिवर्सियो” अगले साल शताब्दी वर्ष मनाएगा। शासकीय भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनका अभियान अनवरत और मजबूत रहा। स्वयं राष्ट्रपति लासो ने उनकी प्रशंसा में कहा कि फर्नांडो की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। वे कई महीनों जेल में भी रहे थे क्योंकि उनकी पत्रकार यूनियन के जन-प्रदर्शन से सत्ता कांपती थी। पांच संतानों के पिता इस तेजतर्रार संपादक के कार्यकलापों की चर्चा मैंने स्वयं अपने क्वीटो प्रवास के दौरान सुनी थी। क्वीटो में इंटर्नेशनल आर्गेनाइजेशन ऑफ जर्नलिस्ट के अधिवेशन में पत्रकार फेडरेशन (IFWJ) के अध्यक्ष के नाते मैं मौजूद था। हालांकि फर्नांडो थे वामपंथी, बल्कि मार्क्सवादी, पर भारत के प्रति उनकी अतीव श्रद्धा थी। उन्होंने 2015 में उजागर किया था कि किस प्रकार उनका देश इक्वाडोर इतालवी गुप्तचर संस्था द्वारा पत्रकारों तथा राजनीतिक विरोधियों की मुखबरी करा रहा है। इस पूरी रपट को उन्होंने विकिलीक्स के मार्फत भंडाफोड़ किया था। श्री असांज की सहायता मिली थी। विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन पॉल असांज हैं। वे एक कंप्यूटर प्रोग्रामर और हैकर थे।
     अपने क्यूटो प्रवास की इतने वर्षों बाद भी उसकी याद मेरे जेहन में ताजी है। यह  विश्व की दूसरे नंबर की सबसे ऊंची राजधानी है। पहला बोलिविया का लापाज है। एंडीज पर्वतमाला के पूर्वी घाटी में स्थित यह नगर साढ़े नौ हजार फिट की ऊंचाई पर है। यह भूमध्य रेखा से केवल 25 किलोमीटर दूर है। स्पेनियों द्वारा इंका साम्राज्य के खंडहरों पर 1534 में स्थापित, क्विटो लातिन अमेरिका के सबसे व्यापक और सर्वोत्तम संरक्षित ऐतिहासिक केंद्रों में से एक है। समृद्ध संस्कृति, ऐतिहासिक चर्च, सुंदर वास्तुकला और शानदार एंडियन दृश्य के लिए यह आदर्श स्थान हैं। उस 1.0.J. के विश्व पत्रकार अधिवेशन की अत्यंत भयावह स्मृति मेरे मस्तिष्क में है। उस रात मैंने देखा था होटल के बाहर जिंदा भैंस को बांस से टांगकर, नीचे आग सुलगा कर, डिनर में उस पशु को भूनकर, काटकर लोग खा रहे थे। मुझे कुंभकर्ण के लंका की याद आ गई। फिर कभी भी क्यूटो न जाने की सौगंध मैंने खायी थी।
K Vikram Rao
Mobile -9415000909
Twitter ID: @Kvikramrao
Posted Date:

August 13, 2023

12:38 pm

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