अमर उजाला की अनोखी साहित्यिक पहल ‘बैठक’ की ‘जुगलबंदी‘ इस बार नामवर सिंह और हिन्दी के विद्वान लेखक और शिक्षाविद् विश्वनाथ त्रिपाठी के बीच हुई। विश्वनाथ जी हालांकि नामवर सिंह से केवल तीन साल ही छोटे हैं, बीएचयू में साथ पढ़े भी हैं और एक तरह से उन्हें अपना गुरुभाई मानते हैं लेकिन लेखन, साहित्य, आलोचना, सियासत और साहित्य-समाज आदि को लेकर उनका अपना अपना नज़रिया है। नामवर सिंह और विश्वनाथ त्रिपाठी ने अपने ढेर सारे अनुभव बांटे, साहित्य की तमाम धाराओं पर बात की, आलोचकों की परंपरा को अपने अपने नज़रिये से देखा, देश के सियासी हालात और वामपंथ के साथ साथ दक्षिणपंथ के मौजूदा स्वरूप पर चर्चा की, लेखकों के सम्मान वापसी पर राय जाहिर की।
Posted Date:October 23, 2017
7:23 pm