व्यंग्य लेखकों की देश में कमी नहीं है, लेकिन हास्य और व्यंग्य के घालमेल में वह दृष्टि पैदा ही नहीं हो पा रही है। मंचीय तृष्णा के शिकार आज के व्यंग्यकारों को कुछ मीडिया का ग्लैमर डुबो रहा है तो कुछ व्यावसायिक प्रतिस्पर्धाएं। इसलिए बेहतर है कि हरिशंकर परसाई को याद ही नहीं करें, उन्हें पढ़ें भी और मौजूदा दौर से जोड़कर उनकी रचनाओं को देखें भी। बेशक आप पाएंगे कि परसाई का लेखन हमेशा प्रासंगिक रहने वाला अनमोल ख़जाना है। 22 अगस्त को उनके जन्मदिन पर उन्हें याद करते हुए ‘7 रंग’ के पाठकों के लिए उनकी एक मशहूर रचना — प्रेमचंद के फटे जूते
Posted Date:August 22, 2018
5:08 pm