बनारस घराना आज एकदम सूना हो गया। ठुमरी, दादरा, कजरी, चैती, टप्पा और उपशास्त्रीय गायन की तमाम शैलियों की महासाम्राज्ञी गिरिजा देवी का जाना एक गहरे सदमे जैसा है। अप्पा के नाम से मशहूर गिरिजा देवी की जीवंतता, उनकी आवाज़ और व्यक्तित्व की सरलता किसी को भी अपना बना लेने वाली रही है। वो हमारे घर की एक ऐसे बुज़ुर्ग की तरह लगती थीं मानो उनसे हमारी कई कई पीढ़ियों को बहुत कुछ सीखना हो। आवाज़ की वो गहराई, जहां संगीत एक नई परिभाषा के साथ आपके भीतर तक उतर जाता है और रागों के वो प्रयोग जो एक जादू की तरह आपको बांध लेते हैं। सचमुच गिरिजा देवी का इस तरह जाना एक गहरे शून्य की तरह है।
Posted Date:October 25, 2017
12:07 am