…आज के कलाकार तराना गा देंगे, दादरा गा देंगे, भजन गा देंगे। मगर बनारस के जैसी ठुमरी या दादरा भी हर कोई नहीं गा सकता है। ….भले ही आज हजार जगहों के साहित्य आ गए हों, हजार जगहों के संगीत आ गए हों, लेकिन हमें अपनी संस्कृति नहीं छोड़नी चाहिए। उनकी अच्छी चीजें ले लीजिए, लेकिन अपने संस्कार, अपनी संस्कृति को कभी मत छोडि़ए….(दैनिक हिन्दुस्तान में गिरिजा देवी से बातचीत पर आधारित उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए पहलू प्रकाशित हुए थे। हम आपके लिए गिरिजा देवी के जीवन से जुड़ी उन कहानियों की पांचों कड़ियां दैनिक हिन्दुस्तान से साभार पेश कर रहे हैं।)
Posted Date:October 25, 2017
10:01 am