इस कोरोना समय में समाज के जिन वर्गों को और भी अधिक सीमांत की तरफ धकेला है उसमें कलाकार भी हैं। हर विधा के कलाकार- चाहे वे रंगकर्मी हों, पेंटर हों, मूर्तिशिल्पी हों, गायक हों, वादक हों, नर्तक या नृत्गांगना हों। या लोक कलाकार हों। फिल्मों में काम करनेवाले हों। देश के बड़े बड़े शहरों से जो खबरें (गावो से भी) आ रही हैं वे तो यही बता रही हैं कि युवा और संघर्षशील कलाकारों की जान पर बन आई है। सरकारों की तरफ से भी, चाहे वो राज्य सरकारें हों या केंद्र सरकार, ऐसे कलाकारों के लिए ठोस नीति नहीं है। रवीन्द्र त्रिपाठी का आलेख
Posted Date:July 8, 2020
5:46 pm