94 साल की उम्र में कृष्णा सोबती का चले जाना एक युग के खत्म होने जैसा है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कृष्णा सोबती ने कुछ कविताएं भी लिखी हैं। कुछ ऐसी कविताएं जिनसे उनके सत्ता और सरकारों के प्रति नाराज़गी भी झलकती है और उनके भीतर छिपी बेचैनी भी दिखती है। उनके उपन्यास, उनकी कहानियां और संस्मरण खूब चर्चा में रहे हैं। एक लंबी फेहरिस्त है उनकी किताबों की – मित्रो मरजानी, डार से बिछुड़ी, ज़िंदगीनामा, ऐ लड़की, यारों के यार तिनपहाड़, दिलो दानिश, ज़िंदारुख और भी ढेर सारी।
Posted Date:January 25, 2019
5:25 pm