लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम करते करते लोग भले ही ऊब गए हों, पत्रकार कलम घिस घिस कर थक गए हों और बीवियां उनकी आवभगत करते करते बेशक खीझ गई हों, लेकिन इस भयानक दौर में कोई करे तो करे क्या… न तो आप फर्जी टीचर बनने की कूवत रखते हो, न सरकारी विभागों के घपले घोटाले या दलाली का हुनर है… कलम घिस घिस कर क्या मिल जाता है… सचमुच इससे तो बेहतर गोदी मीडिया खेमे में शामिल होकर सीना चौड़ा करके घर भर लेते… पत्रकारों की व्यथा पर इस बार का ‘देख तमाशा दुनिया का…’ आलोक यात्री की कलम से..
Posted Date:June 21, 2020
10:41 am