मुख्य धारा की पत्रकारिता से किस तरह कला और संस्कृति हाशिये पर चली गई है और इसे कैसे मीडिया में सम्मानजनक जगह दिलाई जाए, इसे लेकर ललित कला अकादमी खासा चिंतित है। अकादमी ने इस बारे में चिंतन और कारगर पहल करने के मकसद से दिल्ली में भारतीय भाषाओं के करीब 50 कला लेखकों का एक सम्मेलन किया। दो दिन के इस सम्मेलन में हिन्दी, अंग्रेजी के अलावा अन्य क्षेत्रीय और प्रादेशिक भाषाओं के कला लेखकों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अखबारों, पत्र पत्रिकाओं, टीवी चैनलों के अलावा डिजिटल मीडिया में कला और संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों और खबरों को पर्याप्त जगह मिलनी चाहिए।
Posted Date:August 1, 2017
3:11 pm