करीब 6 सदी पहले के भारत और मौजूदा हिन्दुस्तान के बीच के फासले को देखें तो लगता है कि अगर कबीर आज होते तो क्या आज हमारे आसपास का संसार ऐसा ही होता ? 6 सौ साल पहले वो जो लिख गए, उनका जो चिंतन और दर्शन या यों कहिए कि पंथ अपने आप में एक बेहतरीन दुनिया की कल्पना और सोच से भरा है, क्या अब भी हम ऐसे समाज की कल्पना कर सकते हैं?आज के दौर में वो पहले से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हो उठे हैं, जब दुनिया जाति, धर्म, रंगभेद से लेकर तमाम विद्रूपताओं की शिकार हो चुकी है, आज भी कबीर इसलिए सबसे ज्यादा गाए और सुने जाते हैं। प्रभात सिंह का आलेख…
Posted Date:June 5, 2020
4:42 pm