कोई सपने बुनता है। कोई सच बुनता है।
तो कोई अपने समय को बुनता है।
सदियों से इंसान बुन रहा है।
काल, समाज और इतिहास के सैकड़ों सूत्र इस बुनने से जुड़े हुए हैं।
अतीत का बुना हुए वर्तमान के लिए चादर हो जाता है।
कबीर भी बुनते थे -झीनी-झीनी बीनी चदरिया।
आपने कभी गौर से करघे पर किसी को बुनते हुए देखा है ?
July 4, 2017
7:34 pm