एक दौर था जब “संपादक के नाम पत्र” का महत्व समाचार पत्रों में अग्रलेखों के ठीक बाद हुआ करता था। चर्चित पत्र अंतिम होता, तो श्रेष्ठ पत्र पर पारितोष की परम्परा भी थी। ज़माना बदला।अब विज्ञापनदाता ही भारी भरकम संवाददाताओं को कोहनी मार देते हैं। तो अदने पाठक की क्या बिसात ? ऐसे मंजर में 4 जुलाई 2020 को मुंबई में 90-वर्षीय एंथोनी पाराकल का निधन पीड़ादायक है। अर्धशती तक समाचारपत्रों में पांच हजार के करीब पत्र लिखकर वे “लिमका बुक ऑफ़ रिकार्ड्स” में उल्लिखित हो चुके हैं। जाने माने पत्रकार के विक्रमराव का आलेख…
Posted Date:July 7, 2020
2:25 pm