आज के दौर में जामिनी रॉय जैसे कलाकार क्यों याद आते हैं? क्या बदलते दौर में, विकास की अंधी दौड़ में और 21वीं सदी की तथाकथित आधुनिकतावाद में उनके चित्रों के पात्र ज्यादा ज़रूरी लगते हैं? क्या उनके पात्रों में रची बसी गांवों की खुशबू, संस्कृतियों और परंपराओं की जीवंतता और हमारे मूल्यों की तलाश पूरी होती है? दरअसल जामिनी राय का कालखंड तब का है जब देश तथाकथित तौर पर इतना विकसित नहीं हुआ था। आज हम भले ही विकास की बड़ी बड़ी बातें करें, लेकिन बंगाल के गांवों में या देश के तमाम हिस्सों के पिछड़े इलाकों में हालात आज भी सौ साल पहले ही वाले हैं।
Posted Date:April 11, 2020
12:34 pm