जो आपके सपनों का राजकुमार हो, उससे आप राजकुमारी न होकर किसी और रूप में रूबरू हों ऐसा ही मेरे साथ तब हुआ जब मैंने पहली बार हबीब तनवीर से मुलाक़ात की। हबीब तनवीर का पहला नाटक 'चरणदास चोर' मैंने सन 76 में आगरा के सर्किट हाउस मैदान में चल रहे 'आगरा बाजार' में देखा था। बंसी कौल की वर्कशॉप से ट्रेनिंग लेकर मैं हाल ही में 'अमेचर' रंगकर्मी बना था। मैंने हबीब साहब के नाटक को देखा और छत्तीसगढ़ी लोक 'नाच
Read Moreहम जब भी लघु पत्रिकाओं पर विचार करते हैं तो वर्तमान में मीडिया और पत्रकारिता की भूमिका हमारे सामने होती है। यह बताने की जरूरत नहीं है कि हमारे यहां पत्रकारिता का विकास राष्ट्रीय आंदोलन के साथ हुआ। उसके सामने देश को आजाद कराने का लक्ष्य था। साहित्यकारों ने पत्रकारिता को आगे बढ़ाने और उसे जनमाध्यम बनाने का काम किया।
Read Moreहिंडाल्को, रेनूकूट के मजदूर नेता रामदेव सिंह 14 वर्षों तक कंपनी से बाहर बेरोजगार रहकर हिंडाल्को मैनेजमेंट से मजदूरों के हक के लिए लड़ते रहे। मुफलिसी में रहे पर झुके नहीं, टूटे नहीं। ललकारते रहे। चुनौती देते रहे। एशिया की सबसे बड़ी एल्यूमिनियम कंपनी हिंडाल्को की साजिस, चालबाजी और जानलेवा हमलों से बचने के लिये विंध्य पर्वत की गोद में बसे मिर्जापुर (सोनभद्र) में अपने ठिकाने बदलते रहे।
Read Moreगाजियाबाद में धीरे धीरे महफ़िल-ए-बारादरी का रंग जमने लगा है। कुछ ही महीनों में तमाम शायरों के लिए इस मंच ने अपनी खास जगह बना ली है। अब इस बार यानी मई की महफ़िल-ए-बारादरी की बात करें तो इसमें आपसी प्रेम और सदभाव के साथ संवेदनाओं से भरी पंक्तियों के कई रंग बिखरे। ज्यादातर शायरों और कवियों ने प्रेम जैसे शाश्वत सत्य और इंसानियत को अपनी पंक्तियों में बेहद भावपूर्ण अंदाज़ में पिरोया।
Read Moreजाने-माने मार्क्सवादी आलोचक और साहित्यकार रामनिहाल गुंजन का उनके निवास आरा (भोजपुर, बिहार) में 18 अप्रैल की रात निधन हो गया। उनकी उम्र 86 के आसपास थी। इस उम्र में भी वे जिस तरह सक्रिय थे, वह बेमिसाल है। वे कई किताबों पर काम कर रहे थे। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में लिख रहे थे।
Read Moreपिछले लगभग दो साल हिंदी और भारतीय रंगमंच `न होने’ का काल है। यानी नाटक नहीं हुए, रिहर्सल नहीं हए और रंगकर्मी कुछ न करने के लिए अभिशप्त हुए। अब जाकर कुछ नाटक हो रहे हैं पर रंगमंच की दुनिया अभी भी उजाड़ है। ऐसे में बरेली में `जिंदगी जरा सी है’ का मंचन एक ताजा हवा की तरह भी है और अभी के दौर को समझने की कोशिश भी।
Read Moreकला की कई परिभाषाएं हैं। इनमें एक है कि कला आत्म का आविष्कार है। इसका क्या मतलब है? इसका मतलब यह है कि एक कलाकार अपने व्यक्तित्व को अपनी कला के माध्यम से अर्जित करता है। निजी स्तर पर भी और सार्वजनिक स्तर पर भी। युवा कलाकार अंजुम खान की कला इसी की अभिव्यक्ति है। यह तो सत्य है कि कोरोना काल में कई कलाएं संकटग्रस्त हुई हैं और इसी कारण कलाकार भी।
Read Moreकोरोना के कारण भारतीय और हिंदी रंगमंच को जो क्षति हुई है उसकी गिनती की जाए तो उसमें एक बड़ा नाम एस एम अज़हर आलम (जन्म 17 अप्रेल 1968) का होगा। लगभग एक साल पहले यानी 20 अप्रेल 2021 को वे कोरोना के शिकार हुए थे। उसके कुछ ही दिन पहले उनको मौलिक नाट्य लेखन के लिए नेमीचंद्र जैन नाट्यलेखन सम्मान मिला था। पर ये सम्मान अज़हर आलम का महत्त्वपूर्ण पर छोटा परिचय ही था।
Read More