'कथा रंग' की ओर से आयोजित कहानी महोत्सव और अलंकरण समारोह के दौरान बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमियों ने इसमें हिस्सा लिया और यह आयोजन एक भव्य 'लिटरेरी फेस्टिवल' के रूप में तब्दील हो गया। दूसरे सत्र की अध्यक्षता करते हुए जाने माने लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि जब सदी बदलती है तो कई बदलाव लाती है। वहीं अंतिम सत्र की मुख्य अतिथि मैत्रेयी पुष्पा ने कहा कि ऐसे समारोह नए रचनाकारों को स
Read Moreरंगमंच के क्षेत्र में आखिर महिलाओं की संख्या या जगह इतनी कम क्यों है? क्या इसके पीछे कोई वर्णवादी सोच है या पुरुषवादी वर्चस्व का आदिकालीन नज़रिया? क्या आज के दौर में भी रंगमंच नाट्यशास्त्र के उन्हीं मान्यताओं पर चल रहा है जिसे भरतमुनि ने रचा था? क्या ब्राह्मणवादी साहित्य की अवधारणाओं में महिलाओं का स्थान शूद्रों की तरह रहा है और रंगमंच में भी कहीं न कहीं ये अवधारणा लागू होती है? जा
Read Moreकथा रंग द्वारा आयोजित "कथा संवाद" में सुनाई गई कहानियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुप्रसिद्ध लेखक अब्दुल बिस्मिल्लाह ने कहा कि यह आयोजन भविष्य के रचनाकारों के लिए जमीन तैयार कर रहा है। एक मशीनी शहर में कथा-कहानी का पूरा खेत तैयार हो गया है। जो भविष्य के प्रति हमें आश्वस्त करता है। लाज़िम है कहानी की एक लहराती फसल हम भी देखेंगे।
Read Moreफागुनी बयार में घुली-मिली रंगों की बहार अभी अपने शबाब पर ही होती है कि चैती की धुन चटखने लगती है। यानी होली के दिन ही चैती चढ़ जाती है। होली की विदाई चैती गाकर ही की जाती है। होली की रात में 12 बजे के बाद चैती की रागिनी फिजा में घुलने लगती है। गायकों की टोली जब गांव के अंतिम दरवाजे पर होली गाने पहुंचती है, तो वह अपने साथ वहां चैती की सौगात भी लेकर जाती है।
Read Moreराजीव सिंह की किताब ‘कविता में बनारस’ एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जिसमें आपको छह सौ सालों के विशाल कालखंड के दरम्यान बनारस पर लिखी गई उन तमाम कवियों की चुनी हुई रचनाएं हैं जिन्हें एक साथ इकट्ठा कर पाना वाकई एक अद्भुत काम है।
Read Moreअसगर वजाहत के नाटकों में देश और समाज को देखने और इतिहास को वैज्ञानिक तथ्यों के साथ सामने लाने का जो शिल्प है, वह अद्भुत है। उनका ताज़ा नाटक 'महाबली' इसकी मिसाल है। दिल्ली के श्रीराम सेंटर में इस नाटक का पहला शो पिछले दिनों जाने माने रंगकर्मी एम के रैना के निर्देशन में हुआ। महाबली में क्या है खास और कौन हैं इस नाटक के दो महाबली जो हमारे देश में हर वक्त धड़कते रहते हैं, ये जानने की कोशिश क
Read Moreगाजियाबाद में साहित्य सृजन को लगातार एक गंभीर और सार्थक मंच देने की परंपरा शुरु करने वाली संस्था मीडिया 360 लिटरेरी फाउंडेशन का कथा संवाद निरंतर अपने मिशन में लगा है। पिछले पांच सालों से लगातार हर महीने कथा संवाद के जरिये तमाम नए रचनाकारों को मंच देने और कथाकारों की एक नई पीढ़ी को समृद्ध करने में लगी इस संस्था ने इस साल का आखिरी कथा संवाद 25 दिसंबर को गाजियाबाद में आयोजित किया। कथा सं
Read More'श्याम नवगीत और ग़ज़ल का शिल्पी था, सिद्धहस्त सम्पादक, मधुर रचनाओं का रचयिता और संवेदनशील व्यक्ति, उसके रोम-रोम से आत्मीयता छलकती थी। जब-जब मेरी और श्याम की मुलाकात होती वो पल मेरे लिए बहुत सुखद होते उसके पीछे बहुत से कारण हैं।...'
Read Moreहिन्दी और भोजपुरी साहित्य की एक अहम शख्सियत दिनेश ‘भ्रमर’ बेशक इन दिनों अस्वस्थ चल रहे हों, लेकिन 83 साल की उम्र में भी वह लगातार रचनात्मक रुप से सक्रिय हैं। गोपाल सिंह नेपाली और जानकी वल्लभ शास्त्री की काव्य धारा की एक अहम कड़ी के तौर पर उन्हें जाना जाता है। खासकर भोजपुरी साहित्य में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भोजपुरी में ग़ज़ल और रुबाई में प्रयोगधर्मिता का श्रेय अगर
Read Moreवे बेशक 91 साल के हो चुके हों, लंबे समय से अस्पताल में हों लेकिन उनके भीतर का कवि आखिरी वक्त तक सांस लेता रहा। गाजियाबाद में ही वयोवृद्ध कवि कृष्ण मित्र ने अपना पूरा जीवन बिता दिया। देश उनकी कविताओं में धड़कता था। मौजूदा सियासी हालात से वह बहुत खुश नहीं थे, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी उनके हमेशा से आदर्श रहे।
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