जाने माने कार्टूनिस्ट और एकदम ठेठ देसी अंदाज़ में अपने चरित्रों के ज़रिये लोगों के दिलों में बस जाने वाले काक साहब 16 मार्च को 80 साल के हो गए... काक साहब से जुड़ी तमाम यादों को ताज़ा करते हुए हमारे साथी और तीन दशकों से नुक्कड़ नाटकों के लिए समर्पित अस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक अरविंद गौड़ ने बेहतरीन तरीके से उन्हें जन्मदिन पर याद किया... आप भी पढ़िए और काक साहब की शख्सियत को और करीब से
Read Moreवरिष्ठ पत्रकार और बीबीसी से लंबे वक्त तक जुड़े रहे क़ुरबान अली ने अपने शुरुआती दिनों में डॉ राही मासूम रज़ा के साथ कई मुलाकातें कीं, बहुत सा वक्त गुज़ारा... तब से लेकर आजतक देश के हालात को करीब से देखने वाले कुरबान अली ने डॉ रज़ा के गुज़रने के बाद ये आलेख संडे ऑब्जर्वर में लिखा था... उन्होंने डॉ राही मासूम रज़ा को कैसे देखा.. आप भी पढ़िए..
Read Moreडॉ राही मासूम रज़ा को लेकर संवाद ने कुंवरपाल सिंह का एक आलेख छापा है। दरअसल यह ‘राही मासूम रज़ा से दोस्ती : हिन्दुस्तानियत का पैग़ाम ’ नाम की किताब में लिखी कुंवरपाल सिंह की भूमिका है जिसमें डॉ रज़ा के बारे में बहुत सी बेहतरीन जानकारियां हैं। '7 रंग ' के पाठकों के लिए भी हम संवाद से यह लेख साभार ले रहे हैं।
Read Moreविष्णु खरे के कवि-व्यक्तित्व को किसी एक खांचे या सांचे में ढाला नहीं जा सकता। उनके यहां भिन्न प्रकार की कविताएं हैं। कुछ तो ऐसी हैं कि जिनका भरपूर आस्वाद करने के लिए पाठक को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ सकती है। कई बार शब्दों के अर्थों के लिए शब्दकोष देखने पड़ सकते हैं क्योंकि उर्दू की ऐसी शब्दसंपदा उनके यहां है जो आम बोलचाल में नहीं मिलती।
Read Moreनए कविनगर के अपने छोटे से फ्लैट के एक कमरे में यात्री जी का ज्यादातर वक्त बिस्तर पर ही गुजरता है। पिछले कुछ सालों से सेहत ऐसी बिगड़ी है कि चलना फिरना मुश्किल हो गया है। इसी 10 जुलाई को यात्री जी ने अपने 87 साल पूरे कर लिए हैं। अबतक 33 उपन्यास और 18 कहानी संग्रह लिख चुके यात्री जी के ख़जाने में अब भी कई कहानियां हैं, कविताएं हैं, और बहुत सारे ऐसे संस्मरण हैं जिन्हें सहेजने की ज़रूरत है।
Read Moreअस्मिता थिएटर ग्रुप के संस्थापक और मशहूर रंगकर्मी अरविंद गौड़ ने गिरीश कर्नाड को काफी करीब से जाना, महसूस किया और उन्हें जिया है। कर्नाड के नाटकों को अरविंद ने अपने कम संसाधनों के बावजूद एक बड़ा आयाम दिया और अपनी कला दृष्टि के विकास में गिरीश कर्नाड की अहम भूमिका मानते हैं। गिरीश कर्नाड का जाना बेशक रंगमंच की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। खासकर इसलिए भी कि कर्नाड महज एक नाटककार न
Read Moreनामवर सिंह किसके थे? वामपंथियों के या दक्षिणपंथियों के या फिर मध्यमार्गी? उनकी आखिरी विदाई के वक्त उनके पार्थिव शरीर पर सीपीआई के छात्र संगठन एआईएसएफ ने अपनी पट्टी के साथ फूल चढ़ाए थे। उनके गुज़र जाने पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक ने शोक जताया। भले ही कोई उनकी अंतिम यात्रा में शरीक न हुआ हो, लेकिन संदेश भेजने में कोताही
Read Moreकला और संस्कृति के क्षेत्र में मज़बूत दखल रखने वाले पत्रकार आलोक पराड़कर ने पंडित बिरजू महाराज को उनके 80 साल पूरे करने पर किस बारीकी से देखा और महसूस किया, यह उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट किया। 7 रंग के पाठकों के लिए आलोक पराड़कर को वही आलेख साभार पेश है...
Read More94 साल की उम्र में कृष्णा सोबती का चले जाना एक युग के खत्म होने जैसा है। बहुत कम लोग जानते हैं कि कृष्णा सोबती ने कुछ कविताएं भी लिखी हैं। कुछ ऐसी कविताएं जिनसे उनके सत्ता और सरकारों के प्रति नाराज़गी भी झलकती है और उनके भीतर छिपी बेचैनी भी दिखती है। उनके उपन्यास, उनकी कहानियां और संस्मरण खूब चर्चा में रहे हैं। एक लंबी फेहरिस्त है उनकी किताबों की
Read Moreवरिष्ठ पत्रकार के विक्रम राव ने जाने माने रंगकर्मी एलेस पद्मसी को उनके जाने के बाद जिस तरह याद किया वह हम सबके लिए अहम है। उन्होंने ये बताया कि किस तरह हमारे तथाकथित मुख्य धारा की मीडिया ने कला-संस्कृति-रंगमंच-साहित्य-संगीत जैसे विषयों और इनसे जुड़ी खबरों को हाशिए पर धकेल दिया है। यह तमाम मीडिया जगत के लिए शर्म की बात है कि ज्यादातर अखबारों और चैनलों के लिए राजनीति और अपराध या व्या
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