देश भर के कलाकारों का बन रहा है डाटाबैंक, शुरूआत मथुरा से

संस्कृति मंत्रालय ने बनाई कल्चरल मैपिंग कमेटी

नई दिल्ली

संस्कृति मंत्रालय ने देश भर के कोने कोने में फैले कलाकारों की जानकारी इकट्ठा करने के साथ साथ लोक और आदिवासी कलाकारों का डाटाबैंक तैयार करने का काम तेज़ कर दिया है। इस काम के लिए मंत्रालय ने एक कमेटी बनाई है जो ब्लाक स्तर पर जाकर कलाकारों की जानकारी इकट्ठा करेगी। इसकी शुरूआत 17 और 18 जून को मथुरा के गोवर्धन से शुरू होगी। इसके तहत आसपास के करीब 100 गांवों के कलाकारों की सूची तैयार की जाएगी।

 

केन्द्रीय संस्कृति सचिव एन के सिन्हा की अध्यक्षता में हुई बैठक में देश के तमाम हिस्सों के प्रतिनिधियों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लोक और आदिवासी कलाकारों के अलावा हर क्षेत्र के ज्यादातर कलाकार उपेक्षा के शिकार हैं और उनके बारे में सही जानकारी न तो सरकार के पास है और न ही उन संस्थाओं के पास जो उनकी बेहतरी के लिए काम करने का दावा करती हैं। ऐसे में कलाकार  का डाटाबैंक बनाकर उन्हें उचित मदद पहुंचाना, बिचौलियों से बचाना और लुप्त होती कलाओं का संरक्षण करना सरकार की ज़िम्मेदारी है। बैठक में ये तय किया गया कि ब्लॉक स्तर पर ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के साथ साथ गुरू-शिष्य परंपरा के तहत कलाकारों को एक दूसरे से जोड़ना और प्रशिक्षण देना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए सरकार ने हर ब्लाक में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने के लिए तीन लाख रूपए देने का वादा किया है। इसके तहत आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में आसपास के 100 गांवों के कलाकारों को उनके हुनर के साथ चिन्हित किया जाएगा और डाटा बैंक में उनका ब्यौरा शामिल किया जाएगा।

मथुरा के अलावा जिन इलाकों में पहले दौर में ये कार्यक्रम होंगे वो हैं – कुरूक्षेत्र का थानेसर ब्लाक, गोरखपुर का चौरी चौरा, झारखंड का रायकेला और कर्नाटक का शिमोगा। मंत्रालय ने फिलहाल जिन प्रतिनिधियों को ये ज़िम्मेदारी सौंपी है वो हैं भारत कोष के संस्थापक आदित्य चौधरी (मथुरा), विद्याभारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ रामेन्द्र सिंह (कुरूक्षेत्र), डॉ रविशंकर खरे (चौरी चौरा), अखिल भारतीय लोक कला परिषद के अध्यक्ष निर्मल वैद (झारखंड) और डॉ बी वी राजाराम (कर्नाटक)। मंत्रालय की मैपिंग समिति में मशहूर नृत्यांगना नलिनी-कमलिनी, शास्त्रीय गायक वसीफुद्दीन डागर, नृत्यांगना सरोजा वैद्यनाथन, लेखक और नाटककार दया प्रकाश सिन्हा समेत तमाम सांस्कृतिक संस्थाओं और अकादमियों के प्रतिनिधि शामिल हैं।

 

Posted Date:

June 12, 2017

5:52 pm
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