इस मुश्किल दौर में भी कथा संवाद जैसे साहित्यिक आयोजन उम्मीद जगाते हैं
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December 20, 2021

‘बदलते वक्त के साथ कहानियों का संसार बदला है, उन्हें पढ़ने के तौर तरीके भी बदले हैं। अब वो दौर नहीं है कि कहानियां या उपन्यास सोने से पहले नींद की गोली की तरह इस्तेमाल किए जाते थे... दो चार पेज पढ़ा, नींद आ गई फिर किताब किनारे रख दी। अब इंटरनेट पर तमाम प्लेटफॉर्म्स हैं, सोशल मीडिया है, जहां आप जब चाहें, पढ़ सकते हैं। इसलिए लिखते वक्त हमेशा इस बात का ध्यान रखना ज़रूरी है कि हम लिख किसके लिए

लिखने से पहले पढ़ना बेहद अहम है – विभूति नारायण राय
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September 10, 2018

सोशल मीडिया के इस दौर में तमाम नए रचनाकारों की बेहतर अभिव्यक्ति तो ज़रूर नज़र आती है लेकिन वो अपने अलावा दूसरों को कितना पढ़ रहे हैं और सचमुच उनमें पढ़ने के प्रति दिलचस्पी है या नहीं, यह देखना बहुत ज़रूरी है। वरिष्ठ लेखक और उपन्यासकार विभूति नारायण राय ने गाजियाबाद के रचनाकारों के बीच अपनी यह चिंता जाहिर की और कहा कि तकनीकी तौर पर साहित्य की दुनिया भले ही समृद्ध हुई है लेकिन नए लेख

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