‘7 रंग’ अपनी मुहिम में कामयाब होगा – कैलाश खेर

कैलाश खेर को जब भी आप सुनेंगे, एक अलग दुनिया में पहुंच जाएंगे। अपनी धुन का पक्का एक अकेला ऐसा शख्स जो आज अपने दम पर संगीत की दुनिया में वो मुकाम हासिल कर चुका है जिसकी मुरीद पूरी दुनिया है। 7 रंग के संपादक अतुल सिन्हा  के साथ बेहद आत्मीय और दोस्ताना अंदाज़ में कैलाश खेर मिलते हैं। बातचीत के अंदाज़ में वही बिंदासपन और फक्कड़पन जो उनके गीतों में नज़र आता है। बात शुरू करते हैं तो शब्दों का झरना बहने लगता है और उनका सूफ़ीवाद एक नए दर्शन के साथ आपके सामने होता है। जहां ईश्वर है, शिव हैं और वो मस्ती है जो कैलाश खेर को बाकी गायकों से अलग करता है।

चाय की चुस्कियों और कुछ हल्की फुल्की अनौपचारिक बातचीत के बीच कैलाश खेर अपने नए गीत के बारे में बताते हैं। सैनिकों को समर्पित ये गीत सेना के जवानों की शौर्यगाथा से भरपूर है। नए साल पर यानी 15 जनवरी को सैनिक दिवस के मौके पर वो अपना ये गीत देश के सैनिकों को समर्पित करने वाले हैं। अचानक जोश में आकर वो इस गीत की पंक्तियां सुनाने लगते हैं..’तुम हो तो हर पर्व है… तुमपे हमें गर्व है…सरहद जहां तक भी हैं, सुरक्षा ही बस धर्म है… तुमको नमन…’

शिव के अनन्य भक्त कैलाश खेर इसे ऊपरवाले की मेहरबानी मानते हैं और बताते हैं कि कैसे एक पर एक उनके भीतर से शब्द फूटने लगे, गीत बनने लगे और धुन बनाने के साथ वो अपने गीतों को मौसीकी में ढालने लगे। उन्हें न तो गीत लिखने के लिए किसी एकांत पहाड़ी जगह या कॉटेज चाहिए, न कोई लोकेशन और न ही कोई तामझाम। वो बताते हैं कि कैसे तनाव के क्षणों में भी उनके भीतर का संगीत फूटता है और कैसे ऐसे ऐसे शब्द बनते और तरन्नुम में आते चले जाते हैं जो आमतौर पर फिल्मों में इस्तेमाल करने से लोग डरते हैं। कैलाश दावा करते हैं कि वो जो लिखते हैं… परंपरा, अध्यात्म, आत्मा और संस्कृति से जुड़े हिन्दी के जो शब्द बनते हैं, वही उनकी अमूल्य पूंजी हैं। वही उनकी पहचान है और इन शब्दों की ताकत का ही असर है जो उनके गीतों में, लय में और रागों में इतनी ताकत और ऊर्जा पैदा हो जाती है।

एक वाकया सुनाते हैं कैलाश खेर। एक डेढ़ साल पहले उनके स्टूडियो कैलासा के बाहर बीएमसी ने नोटिस चिपका दिया कि अब इसे गिरा दिया जाएगा। दरअसल पहले की बनी इस इमारत की दीवारें जर्ज़र थीं, छत से पानी बहता था और मुंबई की भयानक बारिश में तो पूछिए मत, यहां का हाल क्या होता था। विदेशों से मंगवाए गए इतने महंगे संगीत के इंस्ट्रूमेंट्स थे, ऐसे में यहां मरम्मत का कम करवाने लगे तो बीएमसी वालों का फरमान आ गया।

‘सोचिए मेरी क्या स्थिति रही होगी। फिर भी मैं चुपचाप छत पर गया, अपने शिवशंकर का ध्यान लगाया और फिर जो शब्द फूटे — पद्मासन में ध्यान लगाए मौन है… वीराने में तपता योगी कौन है… हर हर शिवशंभु… जय जय केदारा… ऐसे ऐसे शब्द मिले और जो गीत बना.. आप सुनिए… शिव के इस गीत को अमिताभ बच्चन समेत अरिजीत सिंह, सोनू निगम, शान, शंकर महादेवन, अभिजीत, श्रेया घोषाल, अनूप जलोटा, हेमा मालिनी जैसी देश की जानी मानी 15 हस्तियों ने जब गाया तो लगा जैसे केदारनाथ के प्रलयंकारी भगवान शिव धरती पर उतर आए हों।‘ दरअसल ये गीत तैयार हुआ एक आने वाले टीवी सीरियल बाबा केदार के लिए जो उत्तराखंड सरकार की मदद से और केदारनाथ यात्रियों में नई ऊर्जा भरने के लिए बनाया जा रहा है। हालांकि अभी ये रिलीज़ नहीं हुआ है, इसका केवल प्रोमो देखा जा सकता है।

संगीत और कलाकारों की भूमिका सामाजिक बदलाव लाने में कितनी अहम है…। आज के दौर में देश और समाज के प्रति कलाकारों की क्या ज़िम्मेदारी होनी चाहिए?

आप ये समझिए साहब कि जो काम बातों और नारों से नहीं हो सकता है वो संगीत से हो सकता है। इसकी अपील बहुत गहरी है। आप देखिए, स्वच्छ भारत अभियान हो या देश की सीमाओं की रक्षा का सवाल, देशप्रेम का जज़्बा हो या फिर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ मुहिम, संगीत जितना असर डालता है, वो कुछ और डाल ही नहीं सकता। कला और संगीत की अपनी भाषा होती है जो बहुत गहराई तक आपके मन में उतर जाती है। तो सामाजिक बदलाव में बेहद अहम भूमिका है गायकों और कलाकारों की। हमारी कोशिश लगातार है और मैंने कई ऐसे गीत बनाए और परफॉर्म किया… चाहे अन्ना हज़ारे के मंच से हो या फिर स्वच्छता मिशन के लिए हो… आप ‘बम लहरी..’ सुनिए… क्लबों में लोग शराब छोड़कर शिव के इस गीत पर झूम उठते हैं.. पाकिस्तान में जब मैंने ‘बम लहरी’ गाया तो क्लब में वहां के तमाम युवा में पागल हो गए… शिव का नाम आते ही शराब के प्याले रख दिए जाते हैं और लोग इसके साथ झूमने लगते हैं…

क्या और भी कलाकारों को मिलकर इस अभियान में नहीं आना चाहिए.. क्या कलाकार अपनी भूमिका निभा पा रहे हैं

जी, कैलाश खेर कोई अकेले तो हैं नहीं, बहुत से महान कलाकार हैं, सब अपने अपने तरीके से अपने अपने क्षेत्र में कुछ न कुछ कर रहे हैं.. क्या है न साहब कि कलाकारों की सबसे बड़ी मुश्किल अनिश्चितता है.. कल क्या होगा.. कभी घी घने, कभी मुट्ठी भर चने, कभी उन्हें भी मने… ऐसे कलाकारों का कभी फोरम नहीं बनता.. फोरम हमेशा उनलोगों का बनता है जिनके फिक्स्ड धंधे होते हैं…कलाकार तो अपना काम कर ही रहे हैं, उनके भीतर तो ये होता ही है, वह अपने अपने तरीके से लोगों के लिए ही काम करते रहते हैं, संगीत और कला के ज़रिए सामाजिक संदेश देते ही हैं.. हां ये ज़रूर है कि जो कलाकार भगवान की दुआ से इतनी शोहरत पा चुके हैं, मशहूर हो चुके हैं, जिनके करोड़ों चाहने वाले हैं, उनकी बातों का असर होता है। मेरा मानना है कि ऐसे लोगों को संसद और सरकार के साथ जुड़ना चाहिए, उन कार्यक्रमों और संदेशों को अपने चाहने वालों तक पहुंचाना चाहिए, इसका बहुत ज्यादा असर होगा।

नया क्या कर रहे हैं.. नए कलाकारों के लिए कुछ करने की योजना है…

नए साल में मैं दो नए बैंड बना रहा हूं जो देश के कोने कोने में बिखरी प्रतिभाओं को तलाशेगा, उन्हें मंच देगा। अब मेरा मकसद संगीत की उन छुपी हुई प्रतिभाओं को तलाशना है जिनपर किसी की निगाह नहीं जाती, जिन्हें मौका नहीं मिलता… और मैं ये करके रहूंगा क्योंकि मैं अड़ियल बैरागी हूं, ज़िद्दी अनुरागी हूं…  मैं चाहता हूं आपका चैनल 7 रंग भी हमसे जुड़े.. ऐसे तमाम चैनलों को जोड़कर हम एक बड़ा अभियान चलाएंगे। अपना सारा जीवन अब नए कलाकारों और नई प्रतिभाओं को आगे लाने में लगाएंगे….

Posted Date:

December 24, 2016

12:51 pm
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